कृष्णा नागर : बचपन में मिलते थे कम लंबाई के ताने, दुनिया को जवाब देने के लिए थामा था रैकेट

वो लड़का जो एक समय अपनी कम लंबाई के चलते परेशान रहा करता था, उसकी जिंदगी में लंबाई कम होने के चलते मिलने वाले तानों के अलावा मानो कुछ नहीं था। आज उसी लड़के ने विश्व स्तर पर भारत का परचम लहरा कर हर किसी का मुंह बंद कर दिया है।

हम बात कर रहे हैं भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी कृष्णा नागर की जिन्होंने हाल में टोक्यो पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। बीते रविवार को नागर ने बैडमिंटन में सिंगल्स में हॉन्गकॉन्ग के चू मान काई को हराया और पैरालंपिक बैडमिंटन में प्रमोद भगत के बाद गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए।

एक समय कम लंबाई लगती थी खुद की दुश्मन

कृष्णा अपने स्कूल के समय से ही क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स में रूचि लेते थे लेकिन कम लंबाई के चलते उन्हें हमेशा दोस्तों के बीच मजाक का पात्र बनना पड़ता था।

उनके पिता सुनील उनका ध्यान हटाने के लिए उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम ले जाने लगे जहां वह बैडमिंटन खेलने लग गए जहां धीरे-धीरे कृष्णा बैडमिंटन से जुड़ते चले गए।

पिता सोते थे महज साढ़े तीन घंटे

कृष्णा बताते हैं कि उन्होंने खेल शुरू करने के बाद जिला स्तर टूर्नामेंट भी जीता और 2018 में वह राष्ट्रीय चैंपियन भी बने। एक समय था जब उनके पिता उन्हें गोल्ड मेडल तक पहुंचाने के लिए महज साढ़े तीन घंटे सोकर बेटे के लिए मेहनत करते थे। वह सुबह 4 बजे से पैसे कमाने के लिए लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग देने का काम करते थे।

जमीन में गड्ढा खोद लगाते थे बचपन में जंप

कृष्णा का परिवार खिलाड़ियों से भरा पड़ा है, उनके परिवार में पिता जूडो, ताईक्वांडो, बेसबॉल, सॉफ्टबॉल के खिलाड़ी रहने के साथ-साथ पिता फिजिकल ट्रेनर हैं। वहीं चाचा फुटबॉल और बुआ भी खिलाड़ी हैं। कृष्णा बताते हैं कि 10 साल की उम्र में उनके पिता घर के सामने गड्ढा खोदकर उन्हें लंबी, त्रिकूद और ऊंची कूद का अभ्यास करवाने लगे थे।

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