देवर के ताने पर भाभी ने खुदवा दिया तालाब

जैसलमेर का यह तालाब चमत्कारी तालाब बहुत दिलचस्प है, जिसका पानी बनने के बाद आज तक नहीं सूखा है किसी ने भी इस तालाब की खाली नहीं देखा है। कहा जाता है कि यह तालाब भाभी ने देवर के ताने मारने पर बनवाया था।राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर कुलधरा खाभा रोड़ पर दो गावं जाजिया और डेढ़ा स्थित है। इन दोनों गावों के बीच एक तालाब है जसराज का तालाब या जसेरी तालाब। यह तालाब अपने आप में एक चमत्कारी और दिलचस्प तालाब है. कहा जाता है कि ये ऐतिहासिक तालाब बनने के बाद आज तक सूखा नहीं है। इस तालाब को 750 साल पुराना बताया जाता है। कहीं कहीं 400 साल भी बताते है। लोगों का यह भी  मानना है कि देवर के ताने देने पर भाभी ने यह तालाब बनवाया था।

किसी समय यहां के चौरासी गांवों की प्यास बुझाने वाला यह तालाब आज भी आसपास  के 10-12 गावों के उपयोग में आता है. आसपास के लोग बड़े चाव से इसका पानी पीते है. लोग टेंकरो से पानी भरकर ले जाते हैं. अपने पालतू पशुओं को भी इसी से पानी पिलाते है. कई बार सालों तक बरसात नहीं होने पर भी तालाब का पानी ख़त्म नहीं हुआ. इस तालाब की एक तस्वीर राजस्थान के परम्परागत पेयजल स्रोत के तौर पर दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में भी लगी हुई है. इसके अलावा इससे जुड़ी दिलचस्प और ऐतिहासिक बातों के कारण यह तालाब पर्यटकों के रुझान का केंद्र भी बना रहता है।

इसके बनने को लेकर गांव के लोगों में एक कहानी फैली हुई है. लोग बताते है कि सालों पहले डेढ़ा गांव की लड़की जसबाई की जाजिया गावं में शादी हुई. एक दिन जसबाई पानी भरने कुए पर घड़ा लेकर गई. जहां चरवाहा अपने मवेशियों को पानी पिला रहा था. जसबाई ने चरवाहा से कहा कि उसे पहले पानी भरने दे ताकि वो घर जल्दी जा सके लेकिन चरवाहा ने मना कर दिया. वो बाद में पानी का घड़ा भर पाई. इसके बाद वह घर आई तो रास्ते में उन्हें उनका देवर मिला और उन्होंने देवर को सारी बात बताई. देवर ने उसको ताना देते हुए कहा गावं के कुए पर तो ऐसे ही देर होगी. जल्दी पानी भरना है तो अपने पिता से कहो एक तालाब बनवा दे।

जसबाई ने ताने की यह बात अपने पिता को कही। जसबाई के पिता जसराज पालीवाल अपने गावं के धनी सेठ थे. उन्होंने गावं के पास ही तालाब बनवा दिया। कहा जाता है कि उसी रात जोरदार बारिश हुई और पूरा तालाब पानी से लबालब भर गया। जसबाई तालाब से घड़ा भरके ले गई और देवर को कहा कि अपने पिता के खुदवाए हुए तालाब से  पानी लेकर आई हूं. ऐसा भी कहा जाता है कि तालाब में पीतल की चद्दर भी लगवाई गई थी। उसके बाद से आज तक किसी ने इस तालाब को सूखा नहीं देखा है।

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