थार का स्टार कांस्टेबल लूण सिंह की कहानी, आसमान से गिरा फाइटर प्लेन भी हिम्मत नहीं तोड़ पाया

आज हम आपको कहानी बताएंगे जैसलमेर के कॉन्स्टेबल लूण सिंह की। लूण सिंह अपनी कहानी को खुद बयां करते हैं। आप उनके कहानी को सुनेंगे तो जीवन में कुछ अच्छा करने की जरूर प्रेरणा पाएंगे। लूणसिंह बताते हैं कि एक किसान के बेटे की तौर पर भारत में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होता है। वह भी ऐसी जगह जहां पर सूखा पड़ा रहता है। वे बताते हैं कि हमें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। पापा मेहनत करते और पिताजी 8 लोगों के परिवार में वह केवल 2000 रुपया महीना कमा पाते।

लूण सिंह कहते हैं कि जब 6 साल के थे तो उन्होंने अपने पिता को कहा कि पिताजी एक दिन में जरूर बड़ा आदमी बनूंगा। इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया। 11 किलोमीटर पैदल चलकर के वह पानी लेकर आते और फिर स्कूल जाते थे। लूण सिंह कहते हैं कि उनके पैर में छाले भी पड़ जाते थे, क्योंकि गरीबी के कारण चप्पल खरीदना भी बहुत मुश्किल था। अपने जीवन की कहानी में आगे बताते हैं कि उन्होंने दिल लगाकर के पढ़ाई की, हर बार वह कक्षा में पहले स्थान पर आते थे। लेकिन जब वह कक्षा बारहवीं में पढ़ रहे थे, तब बाढ़ आने की वजह से उनका स्कूल बह गया और उन्हें अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ना पड़ा।

नौकरी के लिए दर दर भटकना पड़ा

लगातार 3 साल तक वह हर छोटी से छोटी नौकरी के लिए दर-दर घूमते रहे। लाइब्रेरी से लेकर चौकीदार जैसी तमाम नौकरी के लिए वह भटकते रहे। वही उनके परिवार की माली हालत और कमजोर होती गई इसके बाद उन्होंने बताया कि साल 2012 में उनके एक दोस्त ने उन्हें स्कूल में शिक्षक बनने की सलाह दी और इसके लिए वह तैयार हो गए। लेकिन उनसे गलती है यह गई कि उन्होंने हिंदी भाषा के बदले अंग्रेजी को चुन लिया और परीक्षा में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने बताया कि मेरे सारे सपने मर गए।

विज्ञापन देख पुलिस में हो गए भर्ती

एक साल बाद उन्होंने एक विज्ञापन देखा विज्ञापन पुलिस कांस्टेबल की भर्ती का था। उन्होंने उस परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए। उसके बाद उनके पिताजी ने उनका रिश्ता भी कर दिया। लेकिन शादी के 3 दिन पहले एक फाइटर हवाई जहाज अपना कंट्रोल खो बैठा और क्रैश हो गया। उनके पास में एक भारतीय वायुसेना का बेस था हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उनको चोट आई और उनके दोनों पैर जल गए। लेकिन लोगों ने उन्हें अस्पताल में समय से भर्ती कर दिया। एक हफ्ते बाद वह ठीक होकर से वापस आए और उन्हें अपना नतीजा प्राप्त हुआ जिले में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया।

फिजिकल परीक्षा के लिए की पूरी मेहनत

इसके बाद उन्हें शारीरिक परीक्षा के लिए 1 महीने का समय दिया गया। लूणसिंह ने परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया। वह वॉकर की मदद से अस्पताल के आसपास थोड़ी मेहनत करते। बताते हैं कि जिस दिन उनका टेस्ट होना था उस दिन वह ग्राउंड में गए और अपनी पूरी लगन और पूरी मेहनत के साथ भागे। 10 राउंड के बाद उन्हें खून निकलना शुरू हो गया लेकिन उन्होंने अपने आप से सिर्फ यही कहा कि यह मौका हाथ से नहीं जाना चाहिए। उन्हें आखिरी तक भाग कर दौड़ को पूरा किया।2015 में वह कांस्टेबल बन गए और मीडिया ने उन्हें थार का स्टार बुलाना शुरू कर दिया।

ड्यूटी पर कर रहे है लोगो की मदद

उनके पिताजी को भी अपने बेटी पर बहुत गर्व हुआ बताते हैं कि वह अपनी ड्यूटी पर पूरी ईमानदारी से काम करते हैं। कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी उन्होंने कई मजदूरों की भी मदद की थी। पिछले साल के अंत में उन्होंने उन्होंने लोगों के बीच में जागरूकता फैलाना शुरू कर दिया। लोगों को मुफ्त में मास्क बाटने के साथ कोरोनावायरस से लड़ने के लिए तैयार किया। उन्होंने आगे बताया कि कई बार लोग उनसे पूछते कि पता नहीं यह बीमारी कब खत्म होगी। लेकिन वह लोगों को अपनी कहानी बता दें कि जीवन में और कहते है कई उतार-चढ़ाव आते हैं और हमें डटकर के उनका सामना करना चाहिए। कई बार जो हो रहा है उसके ऊपर हमारा नियंत्रण नहीं होता लेकिन आखिरी में सब कुछ बढ़िया हो जाता है।

यह कहानी है कॉन्स्टेबल लूणसिंह की, उनके कहानी सुनकर शायद हर एक व्यक्ति में जोश और मेहनत करने का जज्बा जरूर जागेगा। किस तरीके से एक गरीब परिवार से उठकर कॉन्स्टेबल बनने की राह उन्होंने तय की, इसके बाद बीमारी के दौरान भी कई लोगों की मदद कर रहे है। उनके स्वभाव और उनके व्यक्तित्व को भी यह दर्शाता है हम उनकी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन को सलाम करते हैं।

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