फकत यादां में दप्पू खान भाडळी री कहाणी, कुण सुणासी अब मूमल सोनारगढ़ री प्रोळ पर

आज जकां कलाकार बात कर रया हाँ वे कोई अपरिचित कलाकार कोनी।संगीत रे खेतर में एक जगाचावौ नांव है।कलाकार रो नांव है दप्पू खान भाडळी।भाडळी उआं रो गांव है।एक साछात्कार में वे बतावै के – म्है 30 सालां सूं जैसलमेर ई रेऊं।गांव स्यूं अब अधोचार हुग्यौ है।छोटी उम्र में ईज विरासत रे रूप में गायकी मिळी, मोटा भाई म्हैने स्सै कीं सिखायौ।दप्पू खान फकत गीत ई नीं गाया, चिरजावां, भजन आद ई गाया। आप उणा रो गायोडो़ – “मारगिया बोहाराँ फुलडा़ बिछावां कृष्ण जी रा दरसण होया हो राम”

राजस्थान रै लोकसंगीत में जितरौ योगदान जजमानां रो है उतरौ किणी रो ई कोनी।या यूं केय सकां के जजमानां ई जीवता राख्या उआं रा हिंया।लोककलाकारां री जद जद बात होवै म्हनै हिंदी रे एक ठावै कवि प्रभात री कीं ओळ्यां जाद आवै –

वे इसलिए नहीं गातीं कि गाकर, उन्हें कोई मुक़ाम हासिल करना है
वे सभा में नहीं गा रही होतीं तो, चूल्हे के पास बैठकर गा रही होतीं
उन्हें गाने से मतलब है सुनाने से नहीं, इसलिए वे खलिहान में बैठी-बैठी भी गाती हैं

दप्पू जी सारूं कमायचौ उआंरो हिंयौ है।जद वे उणनै आपरै पूरै मन सूं बजावै तो लागै जिंया सगळी पिरथी इंरै मांयनै समाइजगी है।दप्पू खान भारत भर में तद फेमस हुया जद एक म्यूजिक कंपनी, जकी उआं साथै धोखो ई करयौ, मूमल गवाई।मूमल सू फेमस होय’र वे कदैई मूंघा नीं हुया जिंया कीं कलाकार फूलिजै।वे सहज ही हा।मूमल राणा अर मिरासी दोनू राग में गाइजै।दप्पू खान राणा राग में मूमल नैं अमराणै मेलता।जैसलमेर रे सोनार किले आगै कमायचो लियोडो बेठ्यौ ओ आदमी कई देशा री जातरा करी अर आपरी राग में आवाज काढी़__ “प्यारी प्यारी मूमल लोद्रवे री मूमल हाल तो लेजावों भाडळगढ आळै देस”

दप्पू खान आपरै छेकड़ले एक इंटरव्यू में केवै के संगीत आपनै खुस राखै।आप सदीव मुळक सकौ उणनैं परस कर।वा एक जब्बरी अनूभूति है, म्हारौ तो पूरौ समाज ई इण माथै टिक्योडो़ है।इणनै लेय’र और कांई केय सकूं।दप्पू खान भारत रे लगभग हर खूणे में आपरी प्रस्तुति दी है।वां अमेरिका रै उण टेम रा राष्ट्रपति बिल क्लिंटन सारू व्हाइट हाउस में भी गायौ।साल।कोक स्टूडियो में ई वे आपरी प्रस्तुति देय’ र आया पण स्सै सू बडी बात हुवै पैसे री।

आदमी गावे बजावै, धंधौ करै सब रे लारै रोटी रो सुआल सांम्ही आवे।दप्पू खान नैं खैर रोटी तो मिल ई ज्यांती हुसी।इतरा तो आदमी कमा ई लेवै के एक बोरी कणक आ सके।पण जको स्तर दप्पू खान रो हो उण स्तर जितरो पैसो नीं मिल्यो कदैई उआंनै।लोग आवंता जावंता 100 रूपये में मूमल गुआळ अर जाता रेवंता।दप्पू खान नैं जींवते जी लोगां कदैई गंभीर रूप सूं नीं लेया।वांरै जावण रे पछै लोग भर भर आंसू नांखै ईं सू बत्तौ कांई अश्लील व्है सके।वांरी दागसंस्कार में फकत बीस लोग आ बात लखावे के चाहे केडौ़ ई कलाकार क्यूं नीं हुवै सांमती व्यवस्था उणनैं ओ केय’र छोड़ देसी के – मोंटी मंग्णयार है, की आगौ लागै? ग्यौ तो थ्यौ भागियौ”

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