जैसलमेर का निराला मंदिर जहां बिना पत्नी के पति की नो एंट्री

आज हम आपको बतायेगे जैसलमेर के अनूठे मंदिर खेतपाल मंदिर (Khet Pal Mandir) की कहानी। भारतीय संस्कृति और परम्परा का एक अनूठा उदहारण हैं यह जैसलमेर का यह मंदिर। इस मंदिर में पूजा करने को लेकर एक अनूठी परम्परा है। परम्परा की माने तो मंदिर में पूजा करने के लिए भक्तो को जोड़े (Couples Entry) से यानि पति को पत्नी (Husband With Wife) और पत्नी को पति के साथ जाना जरूरी है।

शादी का सूत्र खोलते है जोड़े

मंदिर में शादी के बाद नवविहित जोड़े (Newly Married Couples) अपने शादी के बंधन की शुरआत यही से करते है। मंदिर में नवविवाहित जोड़े शादी के सूत्र बंधन को खोलने के लिए आते है। जो लोग मंदिर में शादी के बाद नहीं आ पाते वह लोग घर पर मंदिर के नाम से नारियल (Nariyal) रख देते हैं।

khetpal Mandir

पूजा करती है महिलाएं

खेतपाल मंदिर लोक देवता खेतपाल जी महाराज को समर्पित हैं। मंदिर लगभग 1000 साल (1000 Years Old Temple) पुराना बताया जाता है। साथ ही इस मंदिर में एक अलग बात यह है कि मंदिर में एक भी पुरुष पुजारी (No Male Priest) नहीं हैं। खेतपाल मंदिर में माली जाति (Mali Caste Ladies) कि महिलाये ही पूजा पाठ करती है। मंदिर को क्षेत्रवाल और भैरव मंदिर (Bhairav Mandir) के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है की सिंध की सात बहने (Sindh’s Seven Sisters) हुई थी। सभी सातो बहने बाद में जैसलमेर की देवी बनी और उन्हें आज पूजा जाता है। खेतपाल जी को उन्ही 7 बहनो का भाई बताया जाता हैं।

नहीं आने देते संकट

जैसलमेर के खेतपाल मंदिर को लेकर लोगो की एक और मान्यता है। यहां के लोगो का मानना है की उनके क्षेत्र में इस मंदिर की बड़ी कृपा है। खेतपाल जी महाराज की कृपा से क्षेत्र में एक भी समस्या नहीं आती हैं। इलाके में किसी परेशानी को आने से पहले ही खेतपाल जी उसका हल ढूंढ देते है। वही मंदिर में हिन्दुओ के अलावा मुस्लिम धर्म (Hindu & Muslim) के लोग भी निकाह हो जाने के बाद यह निकाह (Nikaah) का सूत्र खोलने के लिए आते हैं ।

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