पटवों की हवेली के राज़ दादा ने काम शुरू किया और पोते ने पूरा किया अनोखी कहानी

राधे रजवाड़ों में कुछ खास जातियां उनके कुछ महत्वपूर्ण कामों के लिए होती थी जैसलमेर की शाही परिवार में आभूषणों का काम वहां के जो लोग करते थे उन्हें पटवा कहा जाता था जैसलमेर में स्थित पटवों की हवेली उन्हीं कामगारों की है गुमान मल बाफना ने अपने पांच बेटों के लिए अलग-अलग हवेलियां बनवाई जिन्हें पटवों की हवेली कहा जाता है बताते हैं कि 18 सो मैं शुरू हुई निर्माण कार्य 1807 में खत्म हुई 7 सालों में बनी इस हवेली में विभिन्न सुंदर नक्काशी व कारीगरी की गई है जमाना आज से बिल्कुल भिन्न था मशीनें नहीं थी किसी प्रकार का कोई डिजाइन का प्रारूप नहीं होता था ऐसे में मरू क्षेत्र के स्त्रियों के आभूषण ही उनके लिए प्रारूप बने आर नक्काशी में नक्श 8 आदि काम आ सभी प्रकार की कारीगरी पत्थर पर की गई

पीले पत्थरों से बनी इस हवेली को देश-विदेश से लोग देखने आते हैं और इसकी कलाकारी को पसंद करते हैं।पहली हवेली को 1960 में पटवों ने जैसलमेर के एक महेश्वरी परिवार को बेच दिया था महज 60 हजार में।1974 में जब भारत ने प्रथम पर’मा’णु प’री’क्षण करवाया तो मेडम गांधी को जब पता चला कि जैसलमेर में इतनी खूबसूरत कलाकारी वाली इमारतें हैं, हवेलियाँ हैं तो तो उन्होंने इन सभी स्थानों का भ्रमण कर इन्हें हेरिटेज घोषित किया और इसका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ गिनिज बुक में दर्ज कराया।हवेली में पत्थर के ऊपर पत्थर जोड़े गये हैं।

खास बात यह कि किसी प्रकार का सीमेंट-चूना प्रयोग में नहीं लाया गया है।उसके पीछे भी एक तर्क यह दिया जा सकता है कि उस समय जैसलमेर में पानी देखने को नहीं मिलता था।किसी को सजा देनी होती थी तो उसे जैसलमेर भेजते थे।गड़सीसर एक मात्र जलस्त्रोत था।ऐसे में एक बाल्टी पानी को तीन बार काम में लिया जाता था।कोई मेहमान या दामाद आते थे घर तो उनको खाना खिला देते थे खूब अच्छा और जब पानी की बात आती तब उन्हें घी पिला दिया जाता।हम अनुमान लगा सकते हैं कि पानी की किल्लत का दृश्य क्या रहा होगा!

नथमल की हवेली
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नथमल की हवेली अपने स्थापत्य और नक्काशी के कारण मशहूर है।शहर के केंद्र में अवस्थित इस हवेली पर भित्ति चित्र, चित्रकारी के विभिन्न आयाम जैसे साईकिल, भाप ईंजन आदि के चित्र बनाये गये हैं।इतिहास कहता है कि जैसलमेर के भूतपूर्व दरबार महारावल बेरीसाल सिंह के दीवान नथमल मोहता के नाम पर इस हवेली का निर्माण हुआ, यहाँ नथमल का आवास था।इसका इस हवेली के वास्तुकार हाथी और लुलु दो भाई थे।

एक जानकारी के मुताबिक आर्किटेक बंधुओं ने कभी ऐसा काम नहीं किया था केवल मौखिक निर्देश के अनुसार उन्होंने इसे भव्यता में बदला।हवेली में कीलों के जुड़ाव से पत्थर जॉइंट किये गये हैं।स्थानीय लोगों का कहना कि तीन हवेली सरकार के हाथ में है और एक हवेली में कोई परिवार रहता है।

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