दिव्यांगो का मसीहा बनकर आया बाल वैज्ञानिक मेहुल सिंह, बना डाला बैशाखी से जुड़ा छाता

वैशाखी में छाता कुर्सी, घंटी और लाइट है। झुंझुनू का बाल वैज्ञानिक, फ्यूचर उसका ब्राइट है। आज मैं आपको एक ऐसे बाल वैज्ञानिक की कहानी बता रहा हूं जिसने मानवता की सेवा हेतु दिव्यांगों की जीवन शैली को सरल बनाने में विशेष योगदान दिया है। प्रिंस स्कूल झुंझुनू की दसवीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र मेहुल सिंह ने दिव्यांगों की जीवन शैली को सरल बनाने हेतु एक ऐसी वैशाखी बनाई है जिसमें छाता, लाइट, घंटी और मोबाइल चार्ज करने के साधन के साथ में बैठने हेतु सीट भी बनाई है।

हाल रीको निवासी बलबीर सिंह के एक पुत्र और एक पुत्री है बड़ी पुत्री अंकिता शेखावत स्कूल में अध्यापिका का कार्य करती हैं एवं मेहुल सिंह दसवीं कक्षा का छात्र है।मेहुल की माता जी का नाम मंजू कंवर है।

इंस्पायर मानक अवार्ड।: 

मेहुल सिंह ने दिव्यांगों के लिए एक मॉडल बनाया है, जिसकी सहायता से धूप, बरसात और रात के अंधेरे में भी आसानी से चल सकते हैं। इस मानक अवार्ड का 2019 -1920 में राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है।

चयनितों की सूची में राजस्थान से तीन एवं राष्ट्रीय स्तर पर साठ बाल वैज्ञानिकों का चयन हुआ है। मेहुल ने बताया कि जब वह डूंडलोद पब्लिक स्कूल में आठवीं क्लास में पढ़ता था, तब उसने यह मॉडल बनाया था। उसका सपना वैज्ञानिक बनने का है। इस कार्य में मां मंजू कंवर, बहन अंकिता शेखावत, पापा एवम् प्राचार्य सतवीर सिंह जी का सहयोग रहा है। इस प्रतियोगिता में लगभग चार लाख बच्चों ने भाग लिया था।

दिव्यांग को भीगते देख बनाया वैशाखी से जुड़ा छाता।:

मेहुल सिंह ने कहा कि मैं सितंबर 2018 में पापा के साथ रेलवे स्टेशन पर बैठा था। बरसात हो रही थी। तभी एक दिव्यांग व्यक्ति जो रोड पर चल रहा था ने दोनों हाथों से वैशाखी पकड़ रखी थी। भीगता हुआ रोड पर चल रहा था। वह छाता नहीं पकड़ सकता था। तभी मेरे मन में वैशाखी के साथ छाता जोड़ने कि आई। उसी समय इंस्पायर अवार्ड की घोषणा हुई। जिसमें मैंने मेरा वह आइडिया भेजा। छाते के साथ मैंने घंटी और लाइट भी जोड़ी।

मेरा यह आइडिया स्टेट लेवल पर पसंद किया गया । राष्ट्रीय लेवल पर मैंने इसके अंदर मोबाइल ग्रिपर, पावर बैंक और एक फोल्डेबल चेयर भी जोड़ी। मेरा मकसद है कि साइंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग जिंदगी को आसान बनाने में किया जावे।

तीन बाल वैज्ञानिकों का चयन जापान हेतु।: 

अब तीन बाल वैज्ञानिकों का चयन जापान यात्रा हेतु हुआ है। जहां पर चुनिंदा वैज्ञानिकों से मिलने और सीखने का मौका मिलेगा। डीईओ अमर सिंह पचार ने बताया कि यह जिले के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। डीपीएस के सचिव बीएल रणवा और प्राचार्य सतवीर सिंह जी ने बताया कि इससे दूसरे बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी।

घरवालों की प्रतिक्रिया।: 

नाना नानी और दादा दादी ने अपने नाती और पोते को बहुत आशीर्वाद दिया और जो भी मांगे वह गिफ्ट देने का आश्वासन भी दिया है। मां मंजू कंवर ने कहा कि बालपन से ही पुरानी चीजों को जोड़ना तोड़ने में रुचि रखने और उनको सुधारने का काम का शौक रहा है। बहन अंकिता ने उसको काफी सहयोग किया है और उज्जवल भविष्य की कामना की है। पापा ने कहा की शुरू में मैंने कोई इंटरेस्ट नहीं लिया लेकिन बाद में जब देखा कि मेरा बेटा काबिल है तो मैंने जो भी कहा उसकी पूरी सहायता की।

मेहुल ने अपने स्टेट लेवल और डिस्ट्रिक्ट लेवल के मिले हुए अवार्ड दिखाएं और अभी सेंटर का अवार्ड मिलना बाकी है। और अपने फेवरेट साइंटिस्ट के बारे में पूछने पर मेंहुल ने कहा कि अब्दुल कलाम मेरे फेवरेट साइंटिस्ट है।

अपने विचार।: 

मानव सेवा सिर चढ़ बोले, ऐसा जज्बा देखा नहीं। धन्य मेहुल तेरे मात पिता को, मानव सेवा सी कोई सेवा नहीं।

विद्याधर तेतरवाल, मोतीसर।

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