आंखों की रोशनी जाने पर मां ने पढ़कर सुनाए ऑडियो नोट्स, अब RAS बन पूरा किया पिता का सपना

राजस्थान प्रशासनिक सेवा 2018 परीक्षा का परिणाम जारी होने के बाद संघर्ष और जुनून की सैकड़ों कहानियां सामने आ रही है जहां राजस्थान के दूर-दराज के इलाकों से प्रतिभागियों ने असम्य परिस्थितियों में सफलता की इबारत लिखी है। एक ऐसी ही कहानी झुंझुनूं जिले के चिड़ावा से सामने आई है जहां आरएएस में चयन हुई प्रतिभा अग्रवाल हौंसलों से सपनों की उड़ान भरने का जीता-जागता उदाहरण है।

चिड़ावा के परमहंस कॉलोनी में रहने वाली प्रतिभा अग्रवाल ने जीवन की अंधेरी दुनिया में सफलता का दीपक जलाकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। प्रतिभा ने दृष्टिहीनता को कमजोरी ना समझते हुए ब्लांइड कैटेगरी में राजस्थान में RAS 2018 परीक्षा में 10वीं रैंक हासिल की है।

बचपन से आरएएस बनने का सपना देखने वाली प्रतिभा की आंखों की रोशनी जाना उनके सफर में बाधा नहीं बन सकी और आज प्रतिभा ने साबित कर दिया कि हमें सपने पूरे करने के लिए देखते रहने चाहिए।

2011 में चली गई थी आंखों की रोशनी

29 वर्षीय प्रतिभा की एमए प्रीवियस परीक्षा देने के दौरान 2011 तक जिंदगी आम लोगों की तरह ही थी लेकिन अचानक उनकी आंखों की रोशनी जाने लगी और धीरे-धीरे वह 90 प्रतिशत तक दृष्टिहीनता का शिकार हो गई।

हालांकि प्रतिभा के परिजनों ने उनके इलाज के लिए हर जगह खाक छानी लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। डॉक्टरों के मुताबिक प्रतिभा रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा बीमारी से ग्रसित है जिसका इलाज संभव नहीं है ऐसे में प्रतिभा आज महज परछाई का आभास कर पाती है।

हर रोज 18 से 20 घंटे की पढ़ाई

प्रतिभा के पिता सुरेंद्र अग्रवाल चिड़ावा में ही व्यापारी है और माता सरला देवी एक गृहिणी हैं। उनके माता-पिता बताते हैं कि प्रतिभा ने हर रोज 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई की जिसमें उसके दोस्तों ने काफी मदद की।

प्रतिभा नोट्स का ऑडियो बनाकर सुनती थी। आपको बता दें कि प्रतिभा पढ़ाई में हमेशा से होशियार रही है, उनके 10वीं में 70, 12वीं में 76 प्रतिशत अंक आए हैं। वहीं बीए भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया है। बीए के बाद 2017 में प्रतिभा ने बीएड में प्रवेश लिया जिसकी डिग्री पिछले साल उन्होंने पूरी की।

मां सुनाती थी नोट्स के ऑडियो

प्रतिभा ने तैयारी करने के लिए चिड़ावा में एक कोचिंग की मदद ली। वहीं कोचिंग में मिलने वाले नोट्स को उनके दोस्त ऑडियो में बदल देते थे जिन्हें उनकी मां पढ़कर सुनाती थी।

वहीं प्रतिभा ने तैयारी के लिए किताबों के कंटेंट को मोबाइल में रिकॉर्ड करवा लिया था और दिनभर रिकॉर्डिंग सुनती रहती थी। आपको बता दें कि प्रतिभा को आरएएस परीक्षा में सहयोगी मिला जो सवाल पूछता और वह बोलकर उसका जवाब लिखवाती थी।

पिता का सपना किया पूरा

प्रतिभा के पिता सुरेंद्र अग्रवाल अपनी बेटी को एक प्रशासनिक अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे, लेकिन पिछले साल अगस्त में उनका निधन हो गया। ऐसे में प्रतिभा के लिए यह घटना किसी गहरे आघात से कम नहीं थी। इस दौरान प्रतिभा की मां ने उनका हौंसला बढ़ाया और पिता का अधूरा सपना पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

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