आखिर मिल गया प्रिंस को न्याय ~ कांस्टेबल पिता ने जीती 1 साल बाद जंग, दोषी डॉक्टर्स पर हुई FIR

हमने आज तक यही सुना था कि बच्चे भगवान का रुप होते है। लेकिन इस मामले ने इस बात को सरासर गलत साबित कर दिया है। दरअसल, तीन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक 6 साल के बच्चे ने अपनी जान गवा दी। इस बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था जिसके बाद इसे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां मौजूद डॉक्टर ने रेबीज का इंजेक्शन दिए बिना ही दवा देकर घर भेज दिया।

धीरे – धीरे बच्चे की तबीयत खराब होने लगी और उसने दम तोड़ दिया। झलको झुंझुनू ने बच्चे के बेबस पिता के दर्द को समझते हुए उनके मामले को बड़े बेबाकी से उठाया था और प्रशासन से मांग की थी जो भी दोषी हो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए ताकि प्रिंस को न्याय मिल सके।

खबर के असर के बाद डॉक्टरों की इस लापरवाही पर बच्चे के पिता ने संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा (Dr. Samit Sharma) से शिकायत की उसके बाद सीएमएचओ (CMHO) छोटे लाल गुर्जर (ChoteLal Gurjar) की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई।

एक साल बाद रिपोर्ट आने पर सरकारी अस्पताल के तीन डॉक्टरों को दोषी पाया गया। और रविवार तीनों डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

एक साल पुराना है यह मामला

यह मामला एक साल पुराना है। इस बच्चे का नाम प्रिंस था। जो 21 दिसंबर 2020 को घर से बाहर खेल रहा था। करीब दोपहर के 3:30 बजे एक कुत्ते ने प्रिंस का मुंह नोच लिया। जिसके बाद प्रिंस को बीडीके अस्पताल ले जाया गया। इमरजेंसी में मौजूद डॉ. नेमीचंद कुमावत को दिखाया गया तो उन्होंने नर्सिंग स्टाफ से दिखाने को कहा जहां से प्रिंस को दवा दे दी। जैसा की हम जानते है कि कुत्ते के काटने पर रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है लेकिन उस डॉक्टर ने बिना इंजेक्शन लगाए प्रिंस को घर भेज दिया।

दूसरे दिन प्रिंस की तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद उसे सर्जन गौरव बुरी को दिखाया गया। उन्होनें रेबीज का इंजेक्शन तो लगाया लेकिन सिरम नहीं लगाई। बच्चे की ऐसी हालत देख परेशान मां – बाप ने बच्चे को फिर BDK अस्पताल में मौजूद डॉ. विनय जानू को दिखाया, लेकिन उन्होंने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।

4 जनवरी 2021 को प्रिंस की तबीयत और बिगड़ने लगी जिसके बाद उसके माता – पिता उसे जयपुर ले आए, लेकिन यहां उसकी मौत हो गई। बेटे की मौत के बाद प्रिंस के पिता शैतान सिंह मीणा (Shaitan Singh Meena) जो पुलिस विभाग में कार्यरत कॉन्स्टेबल (Constable) है उन्होंने कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया।

झलको झुंझुनू (Jhalko Jhunjhunu) द्वारा कवर किये गए रिपोर्टिंग :

जांच में तीनों डॉक्टर पाए गए दोषी

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सीएमएचओ छोटे लाल गुर्जर की अध्यक्षता पर जांच कमेटी बनाई गई जिसके एक साल बाद रिपोर्ट सामने आई जहां यह बात साफ हुई की डॉ. नेमीचंद कुमावत, डॉ. गौरव बुरी और डॉ. विनय जानू की लापरवाही से प्रिंस की मौत हुई थी।

समय पर सही इलाज न होने के कारण उस मासूम ने अपनी जान गवा दी। अब इस मामले को जिला कलेक्टर को सौंप दिया गया है। प्रिंस के पिता ने बताया कि वो चाहते है कि अस्पताल की सुविधाओं में इजाफा हो ताकि जैसे मैंने अपने बच्चे को खोया है, कोई और अपना बच्चा न खोए।

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