Jagdeep Dhankhar (Vice President of India): हमारे देश में एक कहावत है कि पूत के पग,पालने में दिख जाते हैं। शायद जगदीप धनखड़ के बारे में उनके मां-बाप ने भी यही सोचा होगा। आपको आज कहानी बताएंगे जगदीप धनखड़ की। जगदीप धनखड़ जी का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था। जगदीश जी ने किठाना में ही अपनी पढ़ाई की और पांचवी कक्षा तक पढ़ने के बाद वह गर्धाना के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए चले गए। उस समय में इतने साधन नहीं हुआ करते थे, जिसकी वजह से उन्हें रोजाना चार-पांच किलोमीटर पैदल चलकर के स्कूल जाना पड़ता था।
जगदीप जी शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थे, जिसके कारण चित्तौड़गढ़ के सैनिक सैनिक स्कूल में उनको दाखिला मिल गया मेरिट के आधार पर उनका और उनके भाई का दाखिला हुआ था। जगदीप जी के करियर के बारे में बताएं तो उन्होंने आईआईटी,एनडीए तथा आईएस लेवल तक के एग्जाम भी पास किए हुए हैं। लेकिन उन्होंने इन सभी को छोड़ अपना भविष्य वकालत में चुना। जब वह सिर्फ 35 वर्ष के थे तो वह राजस्थान हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के रूप में चुने गए।
यही नहीं साल 1989 से 1991 तक वह झुंझुनू जिले के लोकसभा सांसद के तौर पर भी रहे। वहीं प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल के दौरान वह केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी भारत सरकार में अपनी सेवा दे चुके हैं। एक बार वह लोकसभा का चुनाव हार गए जिसके बाद 2003 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ भाजपा में जाने का मन बनाया और चुनाव जीतकर राजस्थान की विधानसभा में पहुंच गए।
अब तक जगदीप धनखड़ लोगों के लिए सिर्फ जगदीप धनखड़ ही थे या कुछ लोगों के लिए केंद्रीय मंत्री जगदीप धनखड़। लेकिन 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ लोगों के लिए बन गए पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल जगदीप धनखड़। वह 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल राज्य के 28वे राज्यपाल के तौर पर चुने गए। जगदीप धनखड़ सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी के तौर पर माने जाते हैं। राजस्थान में जब जाट आरक्षण की हवा तेज हुई तो उन्होंने जाट आरक्षण का भी सपोर्ट किया था।
जानकार बताते हैं कि जगदीप धनखड़ सियासत के खेल से वाकिफ है। साथ ही जब से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर चुने गए हैं,तब से वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके तनातनी के किस्से सामने आते रहते हैं।
जगदीप धनखड़ जी की कहानी यही बताती है कि हौसलों में उड़ान हो तो मंजिल पाना मुश्किल नहीं होता।