कचरे के ढेर को नेशनल स्टेडियम में बदला, झुंझुनूं के पीटीआई जयसिंह ने की गांव की कायापलट

एक अध्यापक जिसने अपने जज्बे के दम पर डंपिंग यार्ड को इंटरनेशनल स्टेडियम में बदल दिया, जहां लोग कचरा फेंकते थे वहां लड़कियां आज अपने मन का खेल खेलने जाती है। हम बात कर रहे हैं झुंझुनूं के देव रोड़ स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के फिजिकल टीचर जयसिंह धनखड़ की जिन्होंने लोगों से सहायता लेकर गांव के एक मैदान की कायापलट कर दी।

हाल में शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल टीचर्स अवॉर्ड की घोषणा की जिसमे देशभर के 44 टीचर्स में से झुंझुनूं के जयसिंह धनखड़ को भी शामिल किया गया है जिन्हें 5 सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रपति इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।

जयसिंह ने मैदान पर एक करोड़ रूपया खर्च किया। आज मैदान में 400 मीटर रेस ट्रैक, वॉलीबॉल के चार ग्राउंड है, बास्केटबॉल कोर्ट से लेकर हैंडबॉल के लिए एक बड़ा मैदान है।

जयसिंह खुद बताते हैं कि जब वह इस स्कूल में 2015 में आए थे, तब यहां पर खेल का मैदान नहीं था। यहां पर एक खाली स्थान पड़ा था जिसमें लोग कचरा डाला करते थे।

जयसिंह ने खेल का मैदान बनाने से पहले खिलाड़ियों को खोजना शुरू किया और उन बच्चों के साथ मिलकर मैदान को साफ करवाया। धीरे धीरे खेल के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ता गया। बच्चे खेलों में आगे निकलने लग गए। स्कूल के स्टाफ का पूरा सहयोग मिला।  गांव के जनप्रतिनिधियों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और देखते ही देखते मैदान का काया पलट हो गया।

जयसिंह के मुताबिक स्थानीय विधायक और सांसद ने अपने कोटे से धनराशि मुहैया करवाई। जिला प्रशासन ने भी सहयोग दिया। कभी नरेगा के द्वारा काम करवाया तथा कभी किसी सांसद के कोटे से कार्य करवाया गया और देखते ही देखते इस मैदान ने राजस्थान में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

बता दें कि जयसिंह स्कूल के अलावा 4 घंटे फ्री कोचिंग सभी बच्चों को देते हैं। पिछले 5 सालों में 60 से ज्यादा लड़के तथा 80 से ज्यादा लड़कियां यहां से स्टेट लेवल पर खेल चुके हैं। वहीं नेशनल लेवल पर 20 से ज्यादा लड़के और 30 से ज्यादा लड़कियां खेल चुकी हैं।

पहले लड़कियां मैदान में आने से डरती थी !

सामाजिक बाध्यताओं के चलते तथा खेल की इजाजत नहीं मिलने के कारण लड़कियां खेल के मैदान में आने से डरती थी। जय सिंह ने अपनी लड़की को सबसे पहले मैदान में उतारा और देखते-देखते आज 100 से ज्यादा लड़कियां खेल की प्रैक्टिस कर रही है और इससे भी ज्यादा लड़के रोज अभ्यास कर रहे हैं।

मैदान में होती है सेना भर्ती की तैयारी

जयसिंह के मुताबिक यह मैदान केवल स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए ही नहीं है बल्कि आसपास के उन युवाओं के लिए भी है, जो सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं। जय सिंह उन सबको बिना किसी फीस के तैयारी करवाते भी है।

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