झुंझुनू के बीडीके हॉस्पिटल में कोरोना से हो रही मृ’त्यु के आँकड़े छिपाने का खेल क्यों छिपाये आँकड़े?

देशभर में कोरोना के मामले जब से बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं तबसे सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगते नजर आ रहे हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार मरीजों की संख्या के साथ-साथ मृ’त्यु के आँकड़े भी छुपा रही है। इसी के साथ आपको बताएं कि झुंझुनू के भगवानदास खेतान यानी बीडीके अस्पताल में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है।

दोनों का अंतिम संस्कार कोरोनावायरस के तहत नियमानुसार किया गया। लेकिन मजे की बात तो यह है कि अस्पताल प्रशासन उनकी मृ’त्यु को कोरोना से हुई मृ’त्यु में गिना ही नहीं।

बीडीके हॉस्पिटल का रजिस्टर जिसमें दर्ज़ होते मौiत के आंकड़े  

नगरपालिका के रिकॉर्ड की मानें तो 28 अप्रैल को 2 मौ’त हुई लेकिन अस्पताल प्रशासन के यहां जीरो। 29 को 3 हुई और अस्पताल के रिकॉर्ड में एक। 30 मई को 5 अस्पताल में रिकॉर्ड में जीरो। 1 मई को 9 हुई और अस्पताल के रिकॉर्ड में जीरो। 2 मई को 4:00 और अस्पताल का रिकॉर्ड तो देखिए 4 के बदले 5 का रिकॉर्ड दिखा रहा है। वही 3 मई को 9 हुई और अस्पताल प्रशासन ने एक भी को अपने रिकॉर्ड में नहीं चढ़ाया। 4 मई को 5 हुई और अस्पताल आदत अनुसार रिकॉर्ड में जीरो लिख रहा है। 5 मई को इस अस्पताल में 3 हुई और रिकॉर्ड में केवल दो ही चढ़ाई गई। 6 मई को 6 हुई और रिकॉर्ड में एक का ही रिकॉर्ड चढ़ाया गया। 7 मई को चार और अस्पताल के रिकॉर्ड में जीरो। 8 मई को दो और अस्पताल के रिकॉर्ड में एक। इसी तरह है अगर आंकड़ों की मानें तो 28 अप्रैल से 8 मई तक यहां कुल 52 मौ’तें हुई लेकिन अस्पताल ने केवल 10 लोगों की ही कोरोना से हुई मौ’त माना है। लेकिन सभी 52 व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कोरोना के दिशा निर्देशों के तहत हुआ है। अगर औसत मानें तो 11 दिनों में यहां हर दिन 4 से अधिक मृ’त्यु हो रही हैं।

इनमें से 27 पुरुष और 25 महिलाएं हैं, वही चौंकाने वाली बात यह है कि 52 में से आधी यानी 26 युवाओं की मृ’त्यु है। बीडीके अस्पताल की होती लापरवाही से लोग परेशान हैं। सरकार इस पर कब ध्यान देगी यह तो सरकार ही जानती है लेकिन यहां होती लापरवाही के लिए अभी तो सबसे पहले अस्पताल प्रशासन ही जिम्मेदार है।

जरा सोचिए यह तो राजस्थान के एक जिले के एक सरकारी अस्पताल की कहानी है,राजस्थान के अन्य अस्पतालों की क्या सच्चाई होगी। साथ ही देश का क्या हाल है यह तो अब भगवान और सरकार व अस्पताल प्रशासन ही जानते हैं।

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