झुंझुनूं के इस गांव के 5 बेटे देश के लिए मर-मिट गए, अब एक साथ लगीं प्रतिमाएं

राजस्थान के शेखावाटी में झुंझुनूं जिला देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले वीर जवानों की धरती कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि यहां हर घर से एक बेटा देश की रक्षा करने का प्रण लेता है।

देश की सेनाओं को सबसे अधिक सैनिक देने वाले झुंझुनूं जिले में अब एक बार इतिहास लिखा गया है। स्वतंत्रता दिवस के 75 साल पूरे होने पर जिले के एक गांव में एक छत के नीचे 5 शहीदों की मूर्तियों का एक साथ अनावरण किया गया। अब झुंझुनूं का पोसाणा गांव राजस्थान का पहला गांव बन गया है जहां एक छत के नीचे 5 शहीदों की मूर्तियां लगी होंगी।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लगी मूर्तियां

हाल में बीते स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन प्रेमसिंह बाजौर, झुंझुनूं सांसद नरेंद्रकुमार, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी तथा सीथल सरपंच संजू चौधरी की मौजूदगी में इन 5 शहीदों की मूर्तियों का अनावरण किया गया।

इस मौके पर बाजौर ने कहा कि मैं राजस्थान के कई शहीद परिवारों से मिला हूं लेकिन पोसाणा गांव जैसा शहीद स्मारक मैंने आज तक नहीं देखा है।

कार्यक्रम में पहुंचे आस-पास के गांवों से हजारों लोग

इस मौके आस-पास के गावों से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और शहीदों को याद किया। वहीं युवाओं में इस दौरान खासा जोश देखा गया।

बता दें पोसाणा गांव के शहीद स्मारक में जिन 5 शहीदों की मूर्तियां लगाई गई है उनमें दो शहीद सेडूराम मैचू व जोधाराम महला 1945 में हुए द्वितीय विश्व युद्ध के शहीद हैं, वहीं इसके अलावा 1962 के शहीद बोहितराम ढेवा, 1967 के शहीद बालाराम खैरवा तथा 2009 के शहीद धर्मपाल सिंह हैं।

1 शहीद सेडूराम मेचू

सेडूराम मेचू 10 मई 1942 को भारतीय सेना में भर्ती हुए और राजरिफ के राइफल मैन मेचू दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। 5 फरवरी 1945 को जर्मनी में उनका निधन हुआ।

2. शहीद धर्मपाल सिंह

मूलचंद व मनभरी देवी के बेटे धर्मपाल सिंह ने 13 जनवरी 1988 को सेना की जाट रेजीमेंट में पहुंचे और 16 सितंबर 2009 को शहीद हुए।

3. शहीद जोधाराम महला

बालूराम व ज्ञानी देवी के घर पैदा हुए जोधाराम महला 4 अगस्त 1942 को भारतीय सेना में सेवाएं देनी शुरू की और 8 मार्च 1945 को जर्मनी में शहीद हुए।

4. शहीद बालाराम खैरवा

भारतीय सेना में ग्रेनेडियर जीताराम व केशरदेवी के बेटे बालाराम खैरवा 27 नवंबर 1962 को सेना में भर्ती हुए और 11 सितंबर 1967 को शहीद हुए।

5. शहीद बोयतराम ढेवा

भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट के सिपाही चंद्रराम व मोहरी देवी के बेटे बोयतराम ढेवा ने 5 फरवरी 1960 को आर्मी जॉइन की और 1962 की जंग में 20 नवंबर को लद्दाख में वीरगति को प्राप्त हुए।

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