झुंझुनूं के राजीव शर्मा ने कुरान का मारवाड़ी में किया अनुवाद, देशभर में बढ़ाया मायड़ का मान

 “अशिक्षा का पत्थर हो दिल पर,

तो दहशतगर्दी दिखती नेक है।

और मानवता सिर चढ़के बोले तो,

सब का दाता एक है

दुनिया में मानवता औऱ शिक्षा की अहमियत अगर हर इंसान समझ जाए तो मानव जगत की आधी से ज्यादा समस्याओं का निवारण हो जाएगा। वहीं इस लीक पर चलने वाले बहुत गिने चुने ही लोग होते हैं।

ऐसी ही कहानी है राजस्थान के झुंझुनूं जिले में कोलसिया गांव के राजीव शर्मा जिन्होंने हमेशा लीक से हटकर काम करने में विश्वास रखा और समाज में शिक्षा के जरिए प्रेम, सद्भाव और भाईचारे का संदेश राजस्थान से लेकर देश के हर हिस्से में पहुंचाया।

कोलसिया के रहने वाले राजीव शर्मा ने पवित्र क़ुरान का मारवाड़ी में हाथों से अनुवाद किया है. आपको बता दें कि यह अनुवाद अपने आप में इसलिए खास है क्योंकि पिछले 1400 सालों के इतिहास में कहीं भी क़ुरान के मारवाड़ी अनुवाद का जिक्र नहीं मिलता है. आइए तफ्सील से जानते हैं कि राजीव शर्मा का यह सफर कैसा रहा।

बचपन से ही था किताबों में लगाव

राजीव शर्मा का जन्म झुंझुनूं के कोलसिया गांव में 6 अगस्त, 1987 को हुआ जहां वह चार भाई-बहनों में अपने माता-पिता की दूसरी संतान हैं।

राजीव शर्मा की अधिकांश शिक्षा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कोलसिया में ही हुई जिसके बाद वह 2 साल हरियाणा एवं एक साल मुंबई भी गए। वे स्कूल के दिनों में हमेशा कक्षा में प्रथम आते थे। वहीं बचपन से ही उन्हें पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था।

राजीव बताते हैं कि अंग्रेजी के उनके अध्यापक श्रीमान सरदार सिंह स्कूल की लाइब्रेरी में पुस्तक मंगवाते थे और उन्हें पढ़ने के लिए देते थे और उनकी लगन देखकर वह बहुत प्रभावित होते थे।

पुस्तक की कमी को देखकर गांव में खोली लाइब्रेरी

राजीव बताते हैं कि एक बार वह दीपावली की छुट्टियों में घर गए और वहां देखा कि पढ़ने के लिए पुस्तकों की कमी है। राजीव ने इसे देखकर अपने कमरे को ही लाइब्रेरी का रूप दे दिया और बहुत सी किताबों का संग्रह कर लिया।

इसके बाद अनेक प्रकाशकों को पत्र लिखा और उनके पास बहुत-सी किताबों का संग्रह हो गया। राजीव की लाइब्रेरी में महाभारत, गीता, बाइबल, कुरान यह सभी धार्मिक ग्रंथ और किताबों का संग्रहण हो गया।

अजान सुनकर कुरान पढ़ने की हुई इच्छा

कुरान के साथ उनके लगाव की घटना के बारे में राजीव बताते हैं कि एक दिन सायंकाल वे अपने दोस्तों के साथ बैठे थे तभी अज़ान हुई।  वह आगे बताते हैं कि अजान सुनकर उनके मन में जिज्ञासा हुई और वे इस खोज में लग गए कि बोले जा रहे शब्दों का अर्थ क्या है। इसी तरह राजीव ने कुरान का अध्ययन करना शुरू कर दिया।

राजीव बताते हैं कि उनके पास कुरान के दस विद्वानों के अलग-अलग भाषा में अनुवाद हैं। अपनी इस यात्रा उनको उर्दू भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया।

कैसे आया मारवाड़ी में अनुवाद करने का ख्याल

राजील बताते हैं कि वह रोज कुछ आयतों का मारवाड़ी में अनुवाद करते और अपने सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ शेयर करते। इस दौरान शेखावाटी अंचल के विदेशों में रहने वाले उनके दोस्त उनके इस काम की बहुत प्रशंसा करते।

उनका कहना है कि जब मेरे दोस्त वहां बैठकर मारवाड़ी में कुरान की आयतें पढ़ते तो ऐसा लगता था कि गांव से मिट्टी की खुशबू आई है।

इस तरह देखते ही देखते राजीव शर्मा ने कुरान का मारवाड़ी में अर्थात् अपनी मायड़ बोली में रूपांतरण कर दिया। इस दौरान कई कलिष्ठ शब्दों के अनुवाद करने में उनकी माताजी का अहम योगदान रहा। मार्च 2015 से दिसंबर 2017 तक तीन साल की अथक मेहनत के बाद राजीव ने कुरान का मारवाड़ी में रूपांतरण कर दिया। बता दें कि इससे पहले राजीव पैगंबर मोहम्मद की जीवनी को मारवाड़ी में अनुवाद किया था।

अपने काम से पाटना चाहते हैं नफरत की खाई

राजीव शर्मा कहते हैं कि हमारे देश में नफरतों की वजह से कई गलतफहमियां पैदा हुई जिससे देश का बड़ा नुकसान हुआ है। हमारा देश दहशतगर्दी का भी बहुत बड़ा दंश झेल रहा है।

वह कहते हैं कि अगर मेरे अनुवाद के शब्दों से मैं प्रेम और भाईचारे का पुल बना सकूं तो उम्मीद करता हूं कि बहुत सी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी और हमारे देश की एकता मजबूत होगी।

वह अपनी उम्मीद जाहिर करते हुए आगे कहते हैं कि मैं इसी समझ को प्यार में बदलना चाहता हूं, जिसके लिए पूरा प्रयत्न कर रहा हूं। मैं इसमें कितना सफल होता हूं, यह तो नहीं कह सकता। लेकिन कोशिश पूरी कर रहा हूं।

राजीव शर्मा के इन्हीं प्रयासों पर हम कहते हैं –

शांति के दूत तुझको,

लाखों सलाम।

धन्य वो मात-पिता जिन्होंने,

दिया तुझको नाम।

पथ में कांटे लाख भले हों,

पर दुनिया को बतला दिया।

एक हिंदू युवक ने कुरान को,

मायड़ भाषा में ला दिया।

आपको बता दें कि राजीव शर्मा के काम को पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया जैसे देशों में सराहा गया है। वहीं उनके लेख देश-विदेश की कई पत्रिकाओं में छपते हैं।

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