नवलगढ़ विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू और राजनीतिक सफर की कहानी

टूट गया परिवार डर खतम,
ना पुलिस दोसी ना नेता।
चोरी जारी लड़ाई झगड़ा,
परिवार ही हमको देता।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवा रहा हूं। जिन्होंने बेबाक शब्दों में कहा है कि घर की ताकत बढाओ। किसी के ऊपर दोष मत दो। “जद बाबो लाठी ले की पौली में बैठतो, और 20 लाठी बीके पीछे थी।” तो कोई की मजाल कोनी क बीघर की तरफ आंख उठा कर देख ले कोई।

यह शब्द है नवलगढ़ विधायक एवम् नवनियुक्त मुख्यमंत्री सलाहकार तथा पूर्व चिकित्सा मंत्री राजकुमार शर्मा (Raj Kumar Sharma) के।

राजनीतिक सफर।
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आदर्श से बात करते हुए राजकुमार शर्मा ने बताया कि मैं 1993 में यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष बना था। मेरे छोटे भाई राजपाल शर्मा को भी अध्यक्ष बनवाया था। यदि काम नहीं करूंगा, किसी के काम नहीं आऊंगा तो “काठ की हांडी एक बार चढ़ती है ” मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों के काम आना है, और मैं आता हूं। उन्होंने बताया कि मैं 2008 से लगातार नवलगढ़ का विधायक हूं। पहली बार बसपा से, दूसरी बार निर्दलीय तथा तीसरी बार कांग्रेस के टिकट से निर्वाचित हुआ हूं।

सलाहकार का दायित्व।
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आदर्श से बात करते हुए उन्होंने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय की एक यह मंशा है कि समाज के अंतिम छोर तक व्यक्ति को विकास का लाभ मिले। सलाहकार होने के नाते मैं संगठन से, विधायक और राजनीतिक रूप से तीनों प्रकार से उनका काम करवाने का भरसक प्रयत्न करूंगा। सलाहकार का मुख्य काम समस्या बताना और उसका समाधान कैसे हो यह बताना है।

आप को मंत्री पद नहीं मिला क्या इसलिए सलाहकार बनाया गया है। का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि राजनीति में “बाबाजी बनने के लिए तो आया नहीं हूं।” हर विधायक के समर्थक चाहते हैं कि उनका विधायक मंत्री बने, और उनका काम हो। इसलिए ज्यादा से ज्यादा विकास हो,यही हमारा मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि मंत्री पद सीमित हैं। तीस लोग ही मंत्री बन सकते हैं।

आप तीसरी बार लगातार विधायक बने इसके पीछे क्या कारण है। का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि लोगों का प्यार और विकास ही इसका मुख्य कारण है। मेरा एक ही नारा है कि” म्ह था का _थे म्हा का।” उन्होंने सब को संबोधित करते हुए कहा। कि शॉर्टकट मत अपनाओ। धरातल से जूड़ो और संघर्ष करो। इस प्रकार लोगों को विश्वास दिलाना होगा कि हम आप के काम आते हैं।

उन्होंने बताया कि यदि मैं जाति के नाम पर वोट मांगता तो मेरा वर्चस्व कहा था। मेरा वर्चस्व मेरा काम है। सभी धर्म और 36 कौम के लोग मुझे चाहते हैं, और मैं उनका काम करता हूं।

जन्मदिन मनाना।
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पूरे जिले में आप के पोस्टर लगे हुए हैं का जवाब देते हुए वह कहते हैं कि मैं मेरे जन्मदिन 14 नवंबर पर पूरे जिले में रक्तदान शिविर का आयोजन करवाता हूं। मैंने अभी तक 45 बार रक्त दिया है। उन्होंने कहा कि मैं 30 वर्ष की उम्र तक तीन बार ,फिर 40 तक दो बार और अब एक बार साल में रक्तदान करता हूं।

उन्होंने कहा कि जन्मदिन का मतलब केक काटना नहीं होता है। जन्मदिन का मतलब आगे होकर जरूरतमंदों के लिए रक्त का दान करना और करवाना। यदि इस को राजनीति मानते हैं तो मैं सभी नेताओं से गुजारिश करूंगा कि वह ऐसी राजनीति करें।

राजनीति में आने का मानस कब बना।
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राजनीति में आने का पूरा श्रेय मेरे पिताजी श्री राम निवास जी शास्त्री और मेरे बड़े भाई साहब को जाता है। उन्होंने मुझे किसी भी बड़े नेता का भाषण होता था तो वह मुझे साथ लेकर जाते थे। मेरे बड़े भाई साहब भी बहुत अच्छे वक्ता थे। उन्हीं की देखरेख में मैंने तीसरी क्लास से ही स्टेज के ऊपर भाषण देना शुरू कर दिया था।

नवलगढ़ से चुनाव लड़ने का सुझाव मेरे पापा का है। उन्होंने कहा कि घर में ही रहो और घरवालों की सेवा करो। यही मेरा सबसे बड़ा उद्देश्य है। जब आपका निस्वार्थ भाव से सेवा करने का उद्देश्य होगा, तो सब आपके साथ होंगे। उन्होंने कहा कि जब मैं चिकित्सा मंत्री था तो लोगों की तहे दिल से सेवा की। राजस्थान सरकार निशुल्क दवा योजना और जांच योजना मैंने शुरू करवाई थी।

किस धर्म में, किस जाति में, किस घर में जन्म लेना है यह विधि का विधान है। इसलिए राजनेता को अपना राजधर्म निभाने के लिए मानव सेवा सबसे उत्तम सेवा के अनुसार ही कार्य करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं करता है, तो वह अपने राजधर्म का पालन नहीं कर रहा है।

उन्होंने नवलगढ़ के सभी गांवों को स्वच्छ पीने का पानी, कॉलेज में साइंस कॉमर्स संकाय हॉस्पिटल को जिला अस्पताल बनाना, सड़कों के बारे में, सूर्य मंडल के बारे में, और रामदेवरा के विकास की बातें आगे करने हेतु दोहराई।

झलको झुंझुनू (Jhalko Jhunjhunu) का मायड़ भाषा में प्रचार करना तथा अपनी संस्कृति हेतु समर्पित कार्यक्रम हेतु, उन्होंने भूरी भूरी प्रशंसा की।

” जय झलको जय झुंझुनू ”

अपने विचार ।
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एकला चलन की नीति छोड़ो,
मिल कर साथ रहो।
मायड भाषा सबसे अच्छी,
सब इसमें बात कहो।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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