झुंझुनूं का 400 साल पुराना रानी सती मंदिर, स्त्री शक्ति का प्रतीक मानी जाती है दादी

रानी सती दादी मंदिर झुंझुनूं।

आत्मा की आवाज आस्था है,

उसी का दूसरा नाम परमात्मा है।

पुण्य कर्मों का यह लेखा जोखा,

उसी से हम सबका जाप्ता है।

दुनिया में दो तरह के इंसान हैं। एक आस्तिक और दूसरा नास्तिक। जो अपने पुण्य कर्मों में विश्वास करता है, जो किसी के प्रति आस्था रखता है उसे आस्तिक कहते हैं। वह व्यक्ति जो कर्मों पर विश्वास नहीं करता है जिसकी किसी शक्ति विशेष के प्रति आस्था नहीं है उसे नास्तिक कहा जाता है।

आस्तिक व्यक्ति अपने रहन-सहन, संगति और शिक्षा के अनुसार या अपने माता-पिता के दिखाए रास्तों के अनुसार अलग-अलग देवी देवताओं या अन्य शक्तियों में से किसी एक के प्रति अपने जीवन में  आस्थावान हो जाता है।

इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे धोरों की धरती, फौजियों की जन्मभूमि झुंझुनूं में विराजमान “रानी सती दादी” के बारे में, जिनका इतिहास सैकड़ों सालों पुराना बताया जाता है।

 

भारत के अमीर मंदिरों में एक रानी सती मंदिर

राजस्थान के मारवाड़ी लोगों का मानना है कि रानी सती मां दुर्गा का अवतार थी। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने पति के हत्यारे को मार कर बदला लिया और फिर अपनी सती होने की इच्छा पूरी की।

रानी सती मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है, हालांकि मंदिर प्रबंधन वर्तमान में सती प्रथा का विरोध करता है। यही नहीं मंदिर के गर्भगृह के बाहर बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है कि हम सती प्रथा का विरोध करते हैं।

धर्म-कर्म महाभारत से सीखे,

अब तक सिखाती आई हो।

दादी सिर पर हाथ हमारे रखना,

दिखाना राह जैसे दिखाती आई हो।

पौराणिक इतिहास के मुताबिक महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए थे जिसके बाद उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्ण ने वरदान दिया था कि तू कलयुग में “नारायणी” के नाम से जानी जाएगी और सती दादी के नाम से विख्यात होगी।

इस वरदान के फलस्वरूप रानी सती दादी आज से लगभग 715 साल पूर्व मंगलवार मंगसिर आदि नवमी संवत् 1352 ईसवी 6.12. 1295 को सती हुई थी।

सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक रानी सती

दादी तेरा मंदिर  दुनिया  में  एक है,

यूं तो छोटे-मोटे अनगनीत अनेक है।

भाद्रपद की अमावस्या को लगता तेरा मेला है,

दुनिया के कोने कोने से आता मानव रेला  है।

रानी सती का झुंझुनूं में 400 साल पुराना मंदिर है जो सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। देशभर से भक्त रानी सती मंदिर में दर्शन के लिए सालभर आते हैं। यहां विशेष प्रार्थना सभा और धार्मिक अनुष्ठान भाद्रपद महीने की अमावस्या को आयोजित किया जाता है।

 

आपको बता दें कि रानी सती मंदिर के परिसर में कई और मंदिर है जो शिव, गणेश और परम भक्त हनुमान को समर्पित है। वहीं मंदिर परिसर में षोडश माता का भी एक सुंदर मंदिर है जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं। परिसर में सुंदर लक्ष्मी नारायण मंदिर भी बना है।

रानी सती मंदिर झुंझुनूं शहर के बीचोबीच स्थित है जो यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। मंदिर को महलनुमा आकार में संगमरमर से बनाया गया है जिसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है।

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