झुंझुनू के बेटा-बहु करेंगे अमेरिका में कैंसर पर रिसर्च,पति पत्नी ने किया राजस्थान का नाम रोशन

एक से दो भले,
दो ने किया कमाल।
कैंसर पर रिसर्च कर,
अमेरिका को किया निहाल।

झुंझुनू के होनहार अमेरिका में कैंसर के इलाज पर करेंगे रिसर्च।
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दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे युवा दंपत्ति से रूबरू करवा रहा हूं। जिन्होंने अमेरिका में कैंसर के इलाज पर रिसर्च करने के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है।
राजस्थान की बहू अमेरिका में करेगी कैंसर पर रिसर्च।
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झुंझुनू (Jhunjhunu) निवासी सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla) और उसकी पत्नी शची मित्तल शुक्ला (Shachi Mittal  Shukla) को यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन (University of Washington) ने पोस्ट डॉक्टरेट एवं प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दी है। शची को प्रोफ़ेसर (Professor) और सौरभ को रिसर्चर (Researcher) बनाया गया है। दोनों मिलकर कैंसर (Cancer) पर रिसर्च करेंगे। शची की पढ़ाई चंडीगढ़ (Chandigarh) में हुई है, उसने बताया कि मैं 11वीं और 12वीं क्लास में सामान्य स्टूडेंट थी।

शची ने 2014 में आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) से बायो इंजीनियरिंग (Bio Engineering) की। वह अपने बैच की सिल्वर मेडलिस्ट (Silver Medalist) रही। इसके बाद में कैंसर डिटेक्शन बाय न्यू इमेजिंग टेक्नोलॉजी इंफ्रारेड पर पीएचडी (Ph.D) शुरू की। इस दौरान उन्हें अपने क्षेत्र में कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड भी मिले। गौरतलब है कि सौरभ शिक्षाविद राधा बल्लभ शुक्ला के पौत्र हैं।

16 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए, पेटेंट फाइल।
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शची ने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के कारण व उसकी रोकथाम के लिए बायोप्सी पर इंफ्रारेड से कई एक्सपेरिमेंट किए। सन 2019 में उनके 16रिसर्च पेपर पब्लिश हुए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की कैंसर बायोप्सी पर रिसर्च कर शचि ने यूनिवर्सिटी में पेटेंट फाइल किया है। इससे पहले वहां पर कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें अमेरिका के कई युवा साइंटिस्ट को आमंत्रित किया गया था। इसमें रिसर्च पेपर के आधार पर शची को पहला स्थान मिला।इसके बाद 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिल गई।

सौरभ आईआईटी दिल्ली से केमिकल ऑफ इंजीनियरिंग में बीटेक।
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अमेरिका में पति-पत्नी दोनों मिलकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी और इलाज पर रिसर्च करेंगे। सौरभ की प्राथमिक शिक्षा शहर के केशव आदर्श विद्या मंदिर में हुई थी। इसके बाद 2012 में आईआईटी दिल्ली से केमिकल ऑफ इंजीनियरिंग में बीटेक किया। दो साल इंडियन ऑयल पानीपत की रिफाइनरी में जॉब की। रिसर्च में इंटरेस्ट के कारण वे यूएसए की इलिनॉइस यूनिवर्सिटी चले गए। वहां न्यूरो साइंस में प्रोटीन पर रिसर्च की। प्रोटीन के ब्रेन की फंक्शनिंग में पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाया।
पीएचडी स्टूडेंट्स को करती है गाइड।

शची ने अमेरिका (America) में एक लैब शुरू किया है। जिसमें अमेरिकन सरकार ने सहयोग किया है, और एक तीन करोड़ की मशीन भी अमेरिका सरकार ने दी है। शची अपने पति सौरभ के साथ मिलकर अमेरिका में कैंसर पर शोध कर रही है। शची ने बताया कि अमेरिका में वह पीएचडी स्टूडेंट्स को गाइड करती हैं। अमेरिकी सरकार ने उसके शोध पत्र को देखते हुए काफी सहायता की है। शची ने अमेरिका में ही पीएचडी की थी।

अपने विचार।
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कुछ कर गुजरने का जज्बा हो मन में,
तो पहाड़ भी राई नजर आती है।
करोड़ों रुपए की धनराशि भी,
वाइडल सरकार को पाई नजर आती है।

विद्याधर तेतरवाल
मोतीसर।

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