“बिड़ला पछाड़” नाम से क्यों जाने जाते थे “शिवनाथ सिंह गिल”, दीये और तूफान की ल’ड़ाई का सच

आज हम आपको किसान नेता जुझारू, कर्मठ व्यक्तित्व, बिड़ला पछाड़ शिवनाथ सिंह जी गिल की जीवनी के बारे में बतायंगे। शिवनाथ जी का जन्म 11 मई 1925 को एक किसान परिवार में धमोरा के पास गीलों की ढाणी में मंगला राम जी के घर हुआ था। उनकी माता जी का नाम चावली देवी था। शिवनाथ जी का विवाह सात आठ साल की उम्र में ही स्वामी की ढाणी तन दिसनाऊ के भूराराम जी की बेटी हरकोरी देवी के साथ कर दिया गया था।

शिवनाथ जी के तीन पुत्र और एक पुत्री ने जन्म लिया।उनके भरे पूरे परिवार में पांच पोते पोतिया है। शिवनाथ जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुढ़ा और चिड़ावा से और बाद में नवलगढ़ पोदार कॉलेज से बीकॉम किया। बीकॉम के बाद आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर गए और जयपुर से वकालत की। साथ में पढ़ने वाले नाहर सिंह जी ने एमकॉम किया । नाहर सिंह जी सुमित्रा सिंह जी के पति हैं और शिवनाथ जी ने अपने फूफा जी करणी राम जो वकालत कर रहे थे कि सलाह से वकालत की और वकील बन गये।

राजनीतिक जीवन : शिवनाथ जी ने 50 वर्ष का यशस्वी राजनीतिक जीवन पूरा किया। वे वर्ष 1952 से 1959 तक झुंझुनू जिला बोर्ड के सदस्य तथा वर्ष 1965 से 1967 तक पंचायत समिति उदयपुरवाटी के प्रधान रहे। वर्ष 1982 से 1985 तक राजस्थान राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष रहे। वे दूसरी, चौथी, दसवीं तथा 11वीं राजस्थान विधानसभा में गुढ़ा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। वे संसदीय विषयों पर गहरी पकड़ तथा सूझबूझ रखने वाले अध्ययन शील कुशल जन नेता थे।

उनकी अग्नि परीक्षा तो 1971 के लोकसभा चुनाव में केके बिड़ला के सामने चुनाव लड़ने की हुई। यह दीये और तूफान की लड़ाई थी। लेकिन आस्था और आत्म विश्वास की जीत हुई। शिवनाथ जी ने केके बिड़ला को हराकर लगभग एक लाख वोटों से विजय हासिल की ओर बिडला पछाड़ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। शिवनाथ जी के बड़े भाई साहब रामदेव जी तथा फूफा जी श्री करणीराम जी की शहादत के बाद उदयपुरवाटी क्षेत्र में, जिसको पैतालिसा कहते हैं में एक दहशत का वातावरण हो गया था

लेकिन इनके साहस और धैर्य ने सार्वजनिक जीवन में उतर कर वहां पर शांति का वातावरण कायम किया। शिवनाथ जी कुम्भा राम जी के प्रिय शिष्यों में से एक थे।सरदार हरलाल सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज सेवा में हिस्सा लिया। शिवनाथ जी राजनीतिक कारणों से नेपाल, श्रीलंका, अंडमान निकोबार की यात्राओं पर भी गए थे।

कर्मठ व्यक्तित्व ज्ञान का भंडार, कानून के ज्ञाता को प्रणाम बारंबार।

निधन : शिवनाथ जी का 17 फरवरी 2007 को 82 वर्ष की उम्र में नि’धन हो गया। वह अपने पीछे भरा पूरा परिवार और सामाजिक जीवन की यादें छोड़ गए है। वे आर्य समाजी, कर्मठ व्यक्तित्व के धनी, किसान, कानून के ज्ञाता,वकील, विधायक, सांसद, अच्छे पति, अच्छे पिता, और समाज के कर्मठ कार्यकर्ता और व्यवहार कुशल व्यक्ति रहे हैं।

लेखक की कलम: 

अनंत में विलीन हुए छाप छोड़ गए, दिए और तूफान की दौड़ दौड़ गए।
आत्मविश्वास और आस्था का मसीहा,ना जाने अपने पीछे कितनी यादें छोड़ गए।

विद्याधर तेतरवाल, मोती सर।

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