राजस्थान की शान व मायड़ भाषा की धड़कन स्वर कोकिला सीमा मिश्रा की जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से

मायड़ भाषा की धड़कन है वो, स्वर कोकिला राजस्थान की। शेखावाटी की शान कहावे, दूजी लता हिंदुस्तान की।।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवा रहा हूं। जिसने सैकड़ों गीत अपनी मायड़ भाषा में गाए हैं ।जिनमें जन्म से लेकर मरण तक, प्यार मोहब्बत और विरह से भरपूर, पति पत्नी, सास बहू, सभी प्रकार के गीत हैं।

मैं बात कर रहा हूं राजस्थान की स्वर कोकिला सीमा मिश्रा (Seema Mishra) की। सीमा मिश्रा के साथ झलको राजस्थान की खुशबू की वार्ता के चुनिंदा अंश।

आपने कहां-कहां पर प्रोग्राम किए हैं।
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मैंने भारत में उन सभी जगहों पर प्रोग्राम किये है। जहां पर राजस्थानी और मारवाड़ी लोग बसे हुए हैं। विदेशी धरती पर मुझे अभी तक ऐसा कोई मंच नहीं मिला है। यदि मिलेगा तो वहां भी मैं जरूर जाऊंगी।

आपके साथ अब तक घटित कोई विशेष अंश हो तो बताएं, का जवाब देते हुए सीमा मिश्रा कहती है कि एक बार मैं मेरे पूरे परिवार के साथ खाटूश्यामजी (Khatushyamji) गई थी। वहां पर मैंने दुकान वाले से कहा भैया कोई अच्छी सी कैसेट दे दो। तो उसने मुझे कैसेट देते हुए कहा कि यह सीमा मिश्रा की कैसेट है। बहुत अच्छी है, सीमा मिश्रा ही खरीदने वाली और सीमा मिश्रा की ही वह तारीफ कर रहा है। तो मेरे को बहुत अच्छा लगा क्योंकि लोग बाग मुझे जानते नहीं है। केवल मेरी आवाज को पहचानते हैं, और गायकार के लिए उसकी आवाज ही सर्वोपरि है।

इसी प्रकार की एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए वह कहती है कि मैं एक बार हैदराबाद में प्रोग्राम देने के लिए गई थी। वहां पर प्रोग्राम देने के बाद में मैंने हाथ मुंह धो कर एक तरफ बैठी हुई थी। तो एक बंदा दौड़ा दौड़ा आया और उसने पूछा कि मैं मैम क्या सीमा मिश्रा गई क्या। तो बड़ा अजीब सा लगा कि सीमा मिश्रा को ही सीमा मिश्रा के बारे में पूछ रहा है।

पांच बरस को मेंघुडो, पच्चीसा ढल गई नार।
बालम छोटो सो। छोटो तो मोटो गोरी मत ना करो,
कोई राख मर्द री लाज। मोटा हो जासी।

यह एक ऐसा हंसी मजाक का गीत गाया है। जिसको सभी लोग बहुत पसंद करते हैं और अक्सर इसकी फरमाइश करते हैं। इसके ऊपर बहुत ज्यादा डांस करते हैं। वह कहती हैं कि मिश्री को बाग़ लगा दे, चांद चढ्यो गिगनार, बालम छोटो सो, इनको मैंने बहुत बार गा दिया। तो मैं भी बोर हो जाती हूं लेकिन लोगों की फरमाइश के आगे गाना पड़ता है।

खुशबू ने अपनी दादी जमुना को याद करते हुए “जल जमुना रो नीर ” गीत गाने की फरमाइश पर सीमा मिश्रा जी ने वह गीत गा कर सुनाया। आप के गुरु कौन हैं का जवाब देते हुए सीमा कहती है कि मेरी प्रथम गुरु मेरी मां है। और उसके बाद में मैं लता मंगेशकर को ही अपना गुरु मानती हूं। उनके गीतों से ही मैंने प्रेरणा ली है। मैंने अपने आप को मोटिवेट किया है।

मैने विधिवत संगीत की कोई भी शिक्षा ग्रहण नहीं की है। ना ही कोई कोचिंग क्लास ज्वाइन की है। यह प्रारब्ध कर्म कहो, ईश्वर की विशेष उपलब्धि कहो, जो मुझे मिली है। झुंझुनू (Jhunjhunu) कला मंच ने मुझे मरू कोकिला सम्मान से सम्मानित किया है। स्वर कोकिला, राजस्थान की लता, सुर संगम, आदि बहुत सी उपाधियों से सम्मानित की जा चुकी हूं।

भरतव्यास अवार्ड से भी मैं कोलकाता ब्राह्मण समाज से सम्मानित की जा चुकी हूं। राजस्थान रत्न अवॉर्ड से भी मैं सम्मानित की जा चुकी हूं। बहुत से अवार्ड मैंने जीते हैं लेकिन जब मुझे राजस्थान की लता के नाम से पुकारा जाता है, तो मैं सबसे ज्यादा गौरवान्वित अपने आपको महसूस करती हूं।

अपने फेवरेट सॉन्ग के बारे में वह कहती है कि ” खड़ी नीम के नीचे मैं तो एकली ” यह सबसे ज्यादा फेवरेट सॉन्ग मेरा। वैसे घूमर, पीपली, कुरजा, पूरब की नौकरी आदि सभी मेरे बहुत फेवरेट है। मुझे घूमर ने ही प्रसिद्धि दिलवाई थी। मेरी फेवरेट सिंगर में कविता कृष्णमूर्ति भी आती है जिनसे मैं बहुत प्रभावित हूं।

अपने राजस्थानी भाइयों को संबोधित करते हुए सीमा मिश्रा कहती है कि अपनी मायड़ भाषा का सबसे ज्यादा प्रचार करो। और बोलचाल की भाषा में उसका सबसे ज्यादा उपयोग भी करो। सभी लोग जब आपस में मिलते हैं तो अपनी ही भाषा में बात करते हैं। तो क्या राजस्थानी राजस्थानी से मिलने पर राजस्थानी भाषा में बात नहीं कर सकता। यह अच्छी बात नहीं है। अपनी भाषा को छुपाओ मत।

वह कहती है कि हिंदी और इंग्लिश तो स्कूल में भी सीख जाओगे। लेकिन अपनी राजस्थानी भाषा तो घर में ही सीखते हैं। तो मायड़ भाषा को बोलने में शर्म कैसी। वो कहती है कि जो हमारी भाषा से शर्म करता है उनको मैं गंवार समझती हूं।

आखिर में राजस्थानी भाषा का गुणगान करते हुए वह कहती है कि लड़ाई में भी मातृभाषा का सम्मान किया है। ” सासु लड़ मत लड़ मत न्यारी कर दे, मेरा बाप को जमाई मेर साग कर दे।” अर्थात अपने पति का नाम नहीं लेते हुए राजस्थानी भाषा को गौरवान्वित किया है। अंत में मायड़ भाषा में इंटरव्यू करने पर खुशबू को बहुत-बहुत बधाई दी।

” जय झलको _जय राजस्थान।”

अपने विचार।
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वाणी में मिठास हो तो अपनापन दिखता है,
अच्छा काम करोगे तो हर कोई लिखता है।

विद्याधर तेतरवाल, मोतीसर।

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