भिर्र : ऐसा गांव जहां का बच्चा-बच्चा रखता है देश सेवा का जज्बा, हर पीढ़ी से निकलते हैं फौजी

कारगिल दिवस विजय के 22 साल पूरे होने पर आज हम जाबांज वीरों को याद कर उन्हें नमन कर रहे हैं ऐसे में जवानों की दासतां राजस्थान का जिक्र किए बिना अधूरी है। राजस्थान की मिट्टी ने देश की रक्षा के लिए अपने कितने ही बेटे सीमा पर भेजे।

प्रदेश के शेखावाटी अंचल इलाके के लाडलों के रग-रग में देश सेवा का जज्बा भरा है तभी कारगिल युद्ध में सीकर, झुंझुनूं और चूरू के 32 जवान शहीद हुए थे। कारगिल के अलावा भी अन्य कई जंगों में यह तीन जिले देश की रक्षा करते रहे हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कारगिल में सीकर, झुंझुनूं व चूरू के सैनिकों ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं झुंझुनूं जिले के भिर्र गांव के बारे में, 900 घरों वाले इस गांव से अब तक 1400 फौजी देश की रक्षा के लिए निकले हैं।

भिर्र : फौजियों का गांव

झुंझुनूं का भिर्र ऐसा गांव है जहां परिवारों में दादा से लेकर पोते तक ने सेना में सेवाएं दी। आजादी के बाद देश चार युद्धों का गवाह बना और इस गांव से हर पीढ़ी में देश की रक्षा करने वाले जवान निकले। गांव में पूर्व फौजी आज भी 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध के ऐसे-ऐसे किस्से बताते हैं कि आपके रोंगटे खड़े हो जाएं।

हर घर का एक ही सपना कि कोई फौजी निकले

भिर्र गांव में बसने वाले लोगों का एक ही सपना है कि उनके घरों से निकलने वाले बच्चे आगे चलकर देश की सेवा करे कोई एक बच्चा फौज में जाएं। यहां आज भी युद्ध लड़ चुके रिटायर सेना से जुड़े लोग हैं जो बच्चों का सेना में जाने के लिए मनोबल बढ़ाते रहते हैं।

और भी गांव रखते हैं फौजियों के नाम पर अपनी पहचान

भिर्र की तरह ही झारोड़ा गांव भी देश सेवा के लिए निकलने वाले फौजियों के लिए जाना जाता है। गांव में 700 के करीब फौजी माने आप कह सकते हैं कि हर घर से एक या दो फौजी निकलते हैं।

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