प्रतिभाशाली चिनाई का काम करने वाला मिट्टी का कलाकार उम्मेद जांगिड़ जो भरता मिट्टी में कला के रंग

भारत एक ऐसा देश है जहां अनेक प्रतिभाशाली लोग पाए जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताएंगे कहानी है,झुंझुनू के काजला का बास गांव के रहने वाले उम्मेद जांगिड़ की। उम्मेद जांगिड़ एक ऐसी कला से संपन्न है जो भारत में शायद बहुत कम लोगो में पाई जाती होगी। उम्मेद जी मिट्टी समेत कई चीजों से हाथ की कलाकृति करते हैं।बचपन से ही उन्हें मिट्टी से खेलना बेहद पसंद था, वह कुछ ना कुछ चीजें बना लिया करते थे।

सबसे पहले उन्होंने एक गणेश जी की मूर्ति बनाई जिसे देखकर उनके घर वाले चौक गए पूछा किसने बनाई तो बोला मैंने बनाई। जिसके बाद घरवालों ने उन्हें सपोर्ट करना शुरू कर दिया। वह बताते हैं कि वह चिनाई का काम करते हैं। जब काम से गांव वापस लौटते तो एक टीले को दिखा करते। लोग पूछते क्या देखते हो ? तो बोले इससे कुछ बनाया जा सकता है। इसी विश्वास के साथ एक दिन उन्होंने काम से छुट्टी होने के बाद उस टीले को एक बच्ची के चेहरे का आकार दे दिया। साल 2014 में उन्होंने इस काम को करना शुरू कर दिया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को लेकर कई सुंदर-सुंदर कलाकृति तैयार करते हैं।

जहाँ जाते है, वही लोग करते है तारीफ

बुहाना शहर में भी जाकर उन्होंने जल बचाओ के ऊपर एक शानदार प्रदर्शन जलपरी का आकार बनाया। जिसके बाद वहां के लोगों ने उनकी बहुत तारीफ की थी। उम्मेद जी के बारे में बताएं वह मिट्टी के अलावा लकड़ी, सीमेंट, हल्दी यहां तक कि गुड से भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सबसे जरूरी

वह कहते हैं कि वह खुद एक बेटी के पिता है इसलिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को लेकर सुंदर-सुंदर चीजें तैयार करते हैं। उनका मानना है कि बेटी है तो सब कुछ है। बेटी के बिना परिवार अधूरा होता है। भ्रूण हत्या को भी वह गलत मानते हैं। इसके अलावा वे कहते हैं कि उनके परिवार की तरफ से उन्हें पूरी पूरा सपोर्ट मिलता है। उनका परिवार उनके साथ हमेशा खड़ा रहता है।

उम्मीद सरकार करेगी मदद

वह खुद की खुशी के लिए कलाकृति करते हैं। साथ ही उम्मेद जी को उम्मीद है कि जल्द ही सरकार तक उनकी इस कला के बारे में आवाज पहुंचेगी। उम्मीद है कि वह अपनी कला का प्रदर्शन राज्य से देश और विदेशों तक भी कर पाएंगे। उनकी कला की बात करें तो जब कोई चीज तैयार करते हैं तो बिना जोड़ उस चीज को तैयार कर लेते हैं। वे कहते हैं कि इन्हें बचाया जाना जरूरी है नहीं तो यह चीजें भी डायनासोर की तरह लुप्त हो जाएंगी।

एसडीएम से भी मिली कोई मदद

उम्मेद जांगिड़ ने अपने बारे में बताया कि एक एक बार उन्होंने 14 फीट लंबा और 15 फुट चौड़ा गांधी जी का चश्मा तैयार किया। उस बनाए चश्मे को लेकर वह एसडीएम ऑफिस पहुंचे, एसडीम साहब ने उन्हें कहा कि वह पंचायत समिति में इसको रख दें। उनके लागत के पैसे उन्हें मिल जाएंगे। लेकिन उम्मेद को आज तक ऐसी कोई मदद नहीं मिली और उसके बाद एसडीएम साहब का भी ट्रांसफर हो गया। लेकिन इसके बावजूद उम्मेद हताश नहीं हुए और उन्होंने अपनी कला को जारी रखा। आज वह तरह-तरह की चीजें बनाते हैं और उम्मीद है कि जल्द ही है देश में भी कई कार्यक्रमों में जाकर लोगों को अपनी कला दिखा पाएंगे।

भारत वाकई बहुत बड़ा देश है यहां हर गांव में, हर गली में एक ऐसा व्यक्ति जरूर होता है जो हुनर और कला संपन्न होता है। उम्मेद जांगिड़ भी उसी का ही उदाहरण है। हम उम्मीद करते हैं कि उम्मेद जांगिड़ की कला सरकार तक जल्द ही पहुंचेगी और सरकार उनकी मदद करेगी।

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