देखें! कुदरत का कारनामा! भैंस ने दिया सफ़ेद रंग और भूरी आँखों का दुर्लभ और विचित्र पाडा

कुदरत कर्म की रेखा है,
रेखा कुदरत बनाय।
जैसा होगा कर्म आपका,
वैसी रचना रचाय।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे विचित्र अर्थात दुर्लभ प्राणी के बारे में बता रहा हूं जो लाखों में या करोड़ों में एक जन्म लेता है। अब मैं आपको ले चलता हूं, उदयपुरवाटी (Udaipurwati) तहसील के केड गांव (Ked Village) में राजेंद्र जी के घर पर।

परिवार और परिचय।
*******************

खुशबू से बात करते हुए राजेंद्र जी की पत्नी ने बताया कि जब भैंस भी ब्या रही थी, तो पैरों को देखकर मैंने सोचा क्या बात है कहीं भैंस के कोई खराबी तो नहीं हो गई है। इतने में भैंस ब्या गई और बिल्कुल सफेद, अंग्रेज के रंग जैसे पांडे को जन्म दिया। पाडे को देखने के लिए पूरे गांव से लोग बाग औरतें, आदमी, बच्चे आने लग गए। कोई इसे अंग्रेज बता रहा है, कोई इसको भेड़ का बच्चा बता रहा है।

खुशबू ने इसके नामकरण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, इसका रंग धोले रंग का अर्थात सफेद रंग का है तो इसका नाम धोलू रख दिया। राजेंद्र जी के लड़के ने जब इसके रंग के बारे में गूगल से सर्च किया तो बताया कि यह बहुत ही यूनिक है। और इस लिहाज से हमने आपको सूचित किया है।

इसके बारे में क्या सोचा।
********************

राजेंद्र जी की पत्नी ने भी इसके बारे में गूगल से सर्च करके लोगों से जानकारी जुटाने के बाद में इसको नकरी नस्ल का बताया। इस नस्ल का कोई भी जानवर अपने आप में यूनिक होता है।बच्चे ने कहा कि जब मैं स्कूल से आया तो मैंने सोचा कि आज यह भेड़, फिर थोड़ा पास गया तो मेरे को मालूम पड़ा की भैंस ब्यायी है। और पाड़ा लाई है। तब मैंने गूगल पर सर्च करके इसकी पूरी डिटेल निकाली।

बेचने के नाम पर राजेंद्र जी की पत्नी कहती हैं कि जो भी कोई इसको पालने वाला होगा, मैं इसको बेच दूंगी। पहले भी भैंस का पाड़ा बेचा था। राजेंद्र जी के घरवाले उसकी बहुत केयर करते हैं, और भरपेट दूध पिलाते हैं। आज वह कटड़ा तीन महीने का होने वाला है। और बहुत ही हष्ट पुष्ट और सुंदर है।

अन्य।
******

राजेंद्र जी के गांव में आज वह पाड़ा एक चर्चा का विषय बना हुआ है। दिन में कोई न कोई तो उसको देखने के लिए आ ही जाता है ।कभी कोई खरीदने की बात करता है कभी कोई पालने की बात करता है। और बहुत से लोग उसको पालने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।

अपने विचार।
************
तरह तरह के जीव देखें,
तरह-तरह की बातें।
जिसके घर हो दाना पानी,
वह उस घर का ही खाते।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

Add Comment

   
    >