झुंझुनू के जाकिर अब्बासी ‘दिलबर’ के दिलदार गीत, टैलेंट के दम पर रोशन किया राजस्थान का नाम

कोरोना के गीत लिखे, लिखे विरह प्रेम के।
छुपी प्रतिभा को रोक न पाया, गाए भी सब टेम से।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवा रहा हूं। जिसने पांच साल की उम्र से गीत गाना शुरू कर दिया था। रात को सोते समय कान के पास रेडियो रख कर सोता था। रेडियो पर गीत सुनते सुनते ही सोना और रात को सोते सोते गीतों के ही सपने लेना। ऐसे शख्स है झुंझुनू (Jhunjhunu) के जाकिर अब्बासी दिलबर (Zakir Abbasi Dilbar)।

” सूती थी रंग महल में” जब गीत गाकर सुनाया तो कहा कि शुरू शुरू में घर वाले पढ़ने पर जोर देते थे, डांटते थे, फटकारते थे लेकिन पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। मेरे छोटे भाई साहब मेरे देखते ही देखते पढ़कर डॉक्टर बन गए। वह दस बारह घंटे रोज पढ़ाई करते थे, लेकिन मैं आधा घंटे तो कैसे जैसे बैठता था लेकिन फिर रफू चक्कर हो जाता था।

एक लेखक की अलग पहचान होती है। उस पहचान के लिए ही मैंने दो साल से मेरे नाम के आगे दिलबर लगाना शुरू कर दिया। वह कहते हैं कि जब मैं आठवीं क्लास में पढ़ता था। तब एक पिक्चर आई थी जिसका नाम था आशिकी। उस पिक्चर में कुमार सानू साहब ने जो गीत गाय थे। मैं उनका दीवाना हो गया और उस दिन से मैंने ठान लिया कि मैं भी इस प्रकार गीत गा सकता हूं। मेरा उस दिन से ही इस लाइन में रुझान और ज्यादा हो गया। मैं गीत लिखने भी लगा और गाने भी लगा। आज मेरे पास में लगभग 50 से ज्यादा सम्मानित पत्र है। जहां से मैं सम्मानित हुआ।

वो कहते हैं कि मेरे पापा हेड मास्टर से सेवानिवृत्त हुए है। मेरा छोटा भाई डॉक्टर है। मुझे मेरे संगीत के जुनून ने पढ़ने नहीं दिया, नहीं तो मैं भी कुछ बनता। मेरी बदकिस्मती यह है कि मुझे कहीं से भी कोई ज्यादा तालीम हासिल नहीं हुई है। ना मुझे कोई इंस्ट्रूमेंट बजाना आता है। हां मैं सीखने के लिए जयपुर (Jaipur) वगैरह गया था,। लेकिन कहीं से भी कोई कोचिंग नहीं मिली।

पहले ऑडियो कैसेट हुआ करती थी। वही मेरी गुरु है। मेरी एक दुकान थी जहां से मैं वह कैसेट भरके देता था। तो मैं भी उसके साथ साथ में गाता था और मेरी प्रेक्टिस बढ़ती चली गई। कोरोना का एक गीत गाकर बताया।” यह दौर है मुश्किल का, हमें देश बचाना है”। उन्होंने बताया कि यह गाना बहुत पॉपुलर हुआ।

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का गाया हुआ एक गीत मुझे बहुत पसंद है यह कहकर उन्होंने गीत गाकर सुनाया। ” ऐ मेरे वतन के लोगों ” जो अक्सर लोग मुझसे सुनना पसंद करते हैं और हर स्वतंत्रता दिवस पर मैं वो गाता हूं। वो कहते कि मेरे आइडल मोहम्मद रफी साहब (Mohmad Raffi Sahab) है। वैसे भारत में चार बड़े गायकार हुए हैं, जिनमें मोहम्मद रफी, मुकेश, लता मंगेशकर और किशोर दा (Kishore Da)।

यह सोशल मीडिया का जमाना है। मेरे गीत फेसबुक पर, यूट्यूब पर दूर दूर विदेश में भी पसंद किए जाते हैं। मेरे पास कमेंट आते हैं। मैं दिल्ली मुंबई चेन्नई बहुत सी जगह प्रोग्राम देने के लिए गया हूं। और पचास से अधिक सामाजिक संस्थाओं ने मुझे सम्मानित किया है। “नदिया के पार “प्रोग्राम के मुख्य कार्यकर्ता सचिन ने भी मुझे राजस्थान (Rajasthan) से एकमात्र सम्मानित किया है। आजकल की गुटबाजी की भर्त्सना करते हुए वह कहते हैं कि टैलेंट को कभी छुपाओ मत, उसको बाहर निकालो।

” जय झुंझुनू जय राजस्थान ”

अपने विचार।
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टांग खिंचाई चोखी कोनी,
यो काम कोनी इंसान को।
मत खोवो यो मिनख जमारो,
भजन सुनो यो ज्ञान को।

विद्या तेतरवाल,
मोतीसर।

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