गोलियों से छलनी होने के बाद दुश्मनों को दिया करारा जवाब, ऐसे थे जोधपुर के जांबाज प्रभुसिंह राठौड़

आज हम आपको एक ऐसे शहीद की शौर्य गाथा बताएंगे जिसने पाक सैनिकों के बीच उनके छक्के छुड़ा दिए लेकिन घात लगा कर बैठे असंख्य दुश्मनों ने हमारे सैनिक को गोलियों से छलनी कर दिया और मरणोपरांत उसका शीश काट के ले गए।

हम बात कर रहे हैं जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के खिरजा खास गांव के सैनिक प्रभु सिंह राठौड़ की जिनका जन्म चंद्र सिंह के घर 23 नवंबर 1991 को हुआ था। प्रभु सिंह की शिक्षा गांव में ही हुई और पूरा परिवार सेना में होने के चलते उन पर भी सेना में जाने की धुन सवार हो गई.

बचपन में भारत-पाक सीमा की बात कानों में पड़ते ही वह बड़े ध्यान से सुनते थे और ऐसे ही मेहनत के बल पर 1 जनवरी 2011 को उन्होंने आर्मी जॉइन कर ली और देश सेवा में लग गए। बचपन से ही उनके मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा था।

13 राजपूताना राइफल्स में रहते हुए वीरगति को प्राप्त

22 नवंबर 2016 को प्रभु सिंह जम्मू-कश्मीर के माछिल सेक्टर में पेट्रोलिंग कर रहे थे. प्रभु सिंह यूनिट 13 राजपूताना राइफल्स में तैनात थे। ड्यूटी के समय वह गाइड की भूमिका निभाते थे और इस दौरान झाड़ियों में छुपे आतंकवादियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी.

पैर में गोली लगने के बाद भी उन्होंने मोर्चा संभाल लिया और आमने-सामने की अंधाधुंध फायरिंग में हौसला रखते हुए दुश्मनों को करारा जवाब दिया। भयंकर गोलीबारी में एक गोली उनके सीने में लगी फिर भी हौसला बनाए रखा लेकिन कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार प्रभु सिंह वीरगति को प्राप्त हुए।

बता दें कि प्रभुसिंह की शहादत के वक्त उनकी पत्नी ओम कवर गर्भवती थी। पति के निधन एवं शहीद की देह पर दुश्मन की बर्बरता के कारण अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाई। गौरतलब है कि शेरगढ़ तहसील में करीब 6 हजार सैनिक देश सेवा में सेवारत है एवं 8000 पूर्व सैनिक हैं। ऐसे में कुछ शहीद परिवारों की चार पीढ़ियां देश सेवा में अपना दबदबा कायम रखे हुए हैं।

वहीं शहीद के पिता चंद्र सिंह कहते हैं कि मैं अकेला वृद्ध व्यक्ति अब परिवार संभाल रहा हूं जबकि भारत सरकार ने उस समय किए वादे अभी तक पूरे नहीं किए हैं। बता दें कि भारत सरकार ने प्रभु सिंह के परिवार को विशेष शहीद का दर्जा दिलाने से लेकर शहरी क्षेत्र में 25 बीघा सिंचित जमीन देने का वादा किया था लेकिन शहीद परिवार को आज भी इंतजार है।

शहीद का मान मत घटाओ,

देश का मान घटता है।

पहले बढ़-चढ़कर वादा करते,

अब मान क्यों तुम्हारा घटता है।

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