सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली दो बच्चों की मां बनी RAS अधिकारी, पहले प्रयास में हासिल की सफलता

‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’

महान कवि हरिवंश राय बच्चन ने यह कविता एक जमाने में लिखी थी लेकिन इसको चरितार्थ किया है राजस्थान के जोधपुर की रहने वाली आशा कंदारा ने।

आशा, जो एक महिला के रूप में एक मां और पत्नी का किरदार भी निभा रही है उन्होंने नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी से आरएएस अधिकारी तक का सफर तय किया है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन लेकर आशा ने साबित कर दिया कि वाकई मेहनत करने वाले कभी नहीं हारते हैं।

दो बच्चों के साथ पति ने छोड़ दिया साथ

आशा के यहां तक पहुंचने की राह कभी भी आसान नहीं रही, वह हमेशा मुश्किलों का सामना करती रही। करीब 8 साल पहले उनके पति ने और दो बच्चों को छोड़ दिया जिसके बाद अपने माता-पिता के यहां उन्होंने रहकर पढ़ाई जारी रखी।

माता-पिता के घर पर स्नातक करने के बाद वह 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में बैठी और आरएएस की दो चरणों की परीक्षा में शामिल हुई।

सड़कों पर लगाती थी झाड़ू

पति के छोड़ने के बाद माता-पिता के घर पर रहना आशा के लिए दिन काटने बराबर था ऐसे में उन्होंने अपने दो बच्चों का खर्च चलाने के लिए जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में नौकरी की। वह दिन में नौकरी करती और रात में आरएएस के लिए तैयारी करती थी।

आशा कहती है कि 2018 में परीक्षा होने के बाद 2 साल मैंने इंतजार किया और इस दौरान मैं नगर निगम में बतौर सफाई कर्मचारी का काम करती थी। वह कहती है कि मैं कोई भी काम को छोटा नहीं मानती हूं, मैंने पढ़ाई और नौकरी साथ में जारी रखी है।

पिता को देती है सफलता का श्रेय

आशा का कहना है उनकी सफलता के पीछे उनके पिता ही हमेशा से प्रेरणा रहे हैं वह शिक्षा की कीमत समझते हैं। उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए हमेशा से प्रोत्साहित किया।

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