टाइगर अभी जिन्दा है! बॉर्डर फिल्म के असली हीरो और वतन के जाबांज़ भैरोसिंह सिंह की जिंदगी की कहानी

बॉलीवुड में साल 1997 में एक बेहतरीन फिल्म रिलीज हुई फिल्म का नाम बॉर्डर था। फिल्म को जेपी दत्ता ने लिखा और डायरेक्ट किया था। इस फिल्म में बड़े बड़े अभिनेताओं ने काम किया था। फिल्म में सनी देओल, सुनील शेट्टी, अक्षय खन्ना पुनीत इस्सर जैसे कई और बड़े कलाकार थे। इस फिल्म में सुनील चिट्ठी ने एक रोल निभाया, किरदार का नाम भैरोसिंह सिंह राठौङ सोलंकियातला था।

लेकिन क्या आपको मालूम है उस फिल्म में दिखाई जा गए भैरोसिंह आज भी जीवित है। जी हां हम बात कर रहे हैं भारतीय सीमा सुरक्षा बल के नायक पद पर रहे भैरोसिंह की। भैरोसिंह का जन्म शेरगढ़ के सोलंकियातला गांव में हुआ था। वह आज भी जीवित है।

1971 के यु’ द्ध के बारे में वे बताते हैं कि उस साल वह लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे। उस दौरान पंजाब की कंपनी सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर आई थी। आर्मी की उन छह कंपनियों में से एक कंपनी के गाइड के तौर पर भैरव सिंह को भेजा गया और उस दौरान उन्हें खबर मिली कि पाकिस्तान के कई हजार सैनिक भारत की सीमा की ओर बढ़ रहे हैं।  रात 2:00 बजे के करीब पाकिस्तान की सेना भारत की सीमा के नजदीक आ गई। इस दौरान भारतीय वायुसेना को मदद के लिए बुलाया गया, लेकिन रात होने के कारण भारतीय वायुसेना नहीं पहुंच पाई। वही पाकिस्तान की तरफ से उस समय गो’ ली बारी होना शुरू हो गई।

आ’र्मी ने यु’ द्ध लड़ना शुरू कर दिया, लेकिन एलएमजी पर तैनात भारत आर्मी के जवान श’ हीद हो गए। इस दौरान भैरोसिंह ने उस एल’एमजी को संभाला। भैरो सिंह ने बताया कि सुबह होने पर भारतीय वायुसेना मदद के लिए आई और पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े। अपनी वीरता और बहादुरी के लिए भैरव सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री बरकतुल्ला खान ने सेना मेडल से भी नवाजा था।

इसके अलावा बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने भी भैरोसिंह समेत 21 जवानों को विजय दिवस पर सम्मानित किया था। डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि यु’ द्ध की तारीख को दिसंबर के महीने में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भैरोसिंह ने पाकिस्तान इस सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

सरकार की सुविधाओं से आज भी वंचित है बहादुर जवान : भैरोसिंह कहते हैं कि उनका जज्बा आज भी बरकरार है। वह देश की रक्षा के लिए आज भी तैयार है। लेकिन उन्हें सिर्फ एक शिकायत है कि भारत की सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती। पेंशन के तौर पर भी बहुत कम राशि मिलती है। उनका परिवार का पालन पोषण खेती पर निर्भर रहता है जो मौसम खराब होने की वजह से कई बार खराब हो जाती है।

युवाओं को सेना का शौर्य बताना जरूरी : भैरोसिंह बताते हैं कि आज के युवाओं को सेना के वीरता के बारे में बताना चाहिए। हम सभी को आजादी के लिए ल’ड़ी ल’ड़ाई याद है। लेकिन आजादी के बाद भी भारत की सेना ने कई ल’ड़ाइयां लड़ी है। 71 की ल’ड़ाई भी उनमें से एक है, भारतीय नौजवानों को इस यु’ द्ध के बारे में और भारत की सेना की शौर्य और वीरता की कहानी के बारे में बताना चाहिए। युवाओं को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे भारत की रक्षा कर सकें।

फिल्म में श’हीद दिखाना गलत : भैरोसिंह को एक शिकायत यह है कि बॉर्डर फिल्म में उन्हें श’हीद दिखाया गया। उनका कहना है कि वह आज भी जीवित है और पूरी तरीके से स्वस्थ है। अपना जीवन अच्छे से यापन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उन्हें फिल्म के मेकर से यही शिकायत है कि उन्हें श’हीद नहीं दिखाना चाहिए था। फिल्म बनाने से पहले भैरोसिंह से भी मुलाकात करनी चाहिए थी।

बरहाल हम भैरोसिंह की बहादुरी के लिए उन्हें सलाम करते हैं। युद्ध भले ही आ’र्मी ने लड़ा लेकिन सीमा सुरक्षा बल का भी उसमे में अहम योगदान रहा था। उनकी बहादुरी के लिए सच्चे दिल से सलाम।

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