राजस्थान की वह अनोखी बावड़ी, जो रखती है अपना ऐतिहासिक महत्व!

Jodhpur News: तूरजी का झालरा, जोधपुर।
************************

कारीगरी का अनूठा संगम,
इतिहास गवाही देता है।
यही शिक्षा का स्रोत हमारा,
यह वर्तमान का आईना है।

महारानी द्वारा निर्मित अनोखी बावड़ी।
********************************
दोस्तों नमस्कार!
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे स्थान पर लेकर चल रहा हूं, जहां की ऐतिहासिक धरोहर को किस प्रकार संजोकर रखा गया है और क्या उसका मायना है। उसके बारे में आपके सामने विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूं।

स्थान का परिचय।
****************
पुरानी धरोहर वर्तमान का आईना होती है। आज के युग में जो विज्ञान के द्वारा तरक्की की गई है, उसके पीछे ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का बहुत बड़ा हाथ है। आज के वैज्ञानिक इतिहास के पन्नों को पलट पलट कर देखते हैं और एक एक वस्तु का बारीकी से निरीक्षण कर आगे कदम रखते हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) जिले में बनी एक बावड़ी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
बावड़ी पर सभी आगंतुकों और वहां पर छोड़े गए कर्मचारियों ने गोपाल से बात करते हुए उसकी पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक महत्व के बारे में विस्तार से अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आज से 280 वर्ष पहले अर्थात सन् 1740 में महाराजा अभय सिंह की पत्नी तूर कंवर ने पानी की समस्या को देखते हुए इस बावड़ी का निर्माण करवाया था। इसका निर्माण राजवंशी महिलाओं और तूर कंवर ने अपने राजकीय कोष से अकाल की स्थिति को देखते हुए इसका निर्माण करवाया।

तूर जी का झालरा
****************
राजस्थान एक मरुस्थलीय प्रदेश है। यहां पर प्रायःकर अकाल की स्थिति वर्षा के अभाव में रहती थी पानी की समस्या को देखते हुए सन 1740 में महारानी तूर कंवर ने एक बावड़ी का निर्माण करवाया था। जिसका नाम तूरजी का झालरा रखा गया। तूरजी का झालरा अपने में हजारों विशेषताओं को समेटे हुए हैं। यह 240 फुट गहरी बावड़ी बहुत लंबी चौड़ी है। जिससे पूरे जोधपुर की पानी की समस्या हल होती थी।
बावड़ी चारों तरफ बड़े-बड़े महलों से घिरी हुई है। इसके अंदर बरसात का पानी बड़ी मात्रा में आकर इकट्ठा होता है। इसके अंदर बहुत सी छतों को जोड़कर ऐसा सामंजस्य स्थापितकिया गया है कि बरसात होने पर बरसात के पानी से बावड़ी लबालब भर जाए। चारों तरफ से छोटी छोटी सिढियां बड़ी मात्रा में बावड़ी के अंदर उतारी गई है, जिनका दृश्य इतना सुंदर है, जो सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

दर्शक दीर्घा।
***********
बावड़ी के अन्दर बनी हुई सीढ़ियां इस प्रकार दिखाई दे रही है,जैसे झालरें लटका दी गयी हो। इसलिए इसका नाम तूरजी का झालरा प्रसिद्ध हुआ। इसको देखने के लिए विदेशी सैलानी भी आते हैं, क्योंकि ऐसी बावड़ी विश्व में कहीं भी आपको देखने को नहीं मिलेगी।महल केझरोखों से बावड़ी का दृश्य देखते (Jodhpur News) ही बनता है। इसलिए सभी रानियां चारों तरफ से दर्शक दीर्घा में खड़ी होकर बावड़ी का दृश्य का आनंद लेती थी।

अपने विचार।
************
कारीगरी कंगुरों की,
कला का अनूठा संगम।
इतिहास दिखाये आईना,
होता व्याकुल मन।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

जोधपुर के फौजी ने बनाया ऐसा कृषि फार्म जहां मिलती हैं हर प्रकार की जड़ी बूटी!

Add Comment

   
    >
राजस्थान की बेटी डॉ दिव्यानी कटारा किसी लेडी सिंघम से कम नहीं राजस्थान की शकीरा “गोरी नागोरी” की अदाएं कर देगी आपको घायल दिल्ली की इस मॉडल ने अपने हुस्न से मचाया तहलका, हमेशा रहती चर्चा में यूक्रेन की हॉट खूबसूरत महिला ने जं’ग के लिए उठाया ह’थियार महाशिवरात्रि स्पेशल : जानें भोलेनाथ को प्रसन्न करने की विधि