भारत का अनोखा मंदिर जहां होती है बुलेट की पूजा, कोई नहीं लौटता है खाली हाथ, भारी भीड़ करती है दर्शन

हिंदुस्तान विभिन्न आस्था वाला देश है जहां हर एक किलोमीटर पर आपको एक बड़ा और प्राचीन मंदिर मिल जाएगा। मंदिरों को लेकर लोगों में ऐसी आस्था है कि सालभर य़हां लोगों का जमावड़ा लगा रहता है।

लोग मंदिरों में जाकर अर्जियां लगाते हैं और माना जाता है कि भगवान सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन आज कल भगवान के अलावा भी हिंदुस्तान में कई अनोखे मंदिर भी बनाए गए हैं जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत और कोरोना वायरस महामारी में लोगों के मददगार बने सोनू सूद का भी मंदिर बनवाया जा चुका है।

लेकिन राजस्थान के जोधपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां इंसान या भगवान नहीं बल्कि एक बाइक को पूजा जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान जोधपुर जिले में जोधपुर-पाली हाईवे के पास चोटिला गांव में स्थित ओम बन्ना के बुलेट बाइक वाले मंदिर की।

हादसे में मारे गए थे ओम सिंह

ओम बन्ना का असली नाम ओम सिंह राठौड़ है। वह गांव के ठाकुर जोग सिंह के पुत्र थे। साल 1988 में ओम सिंह राठौड़ ससुराल बगड़ी सांणडेराव से अपने गांव चोटिला रहे थे। गांव के नजदीक ओम सिंह का उनकी बाइक बुलेट से एक्सीडेंट हो गया था। एक्सीडेंट होने के बाद मौके पर ही ओम सिंह की मौत हो गई थी।

मौत के बाद हर कोई रह गया हैरान

हादसे के बाद स्थानीय पुलिस ने ओम सिंह की बाइक और उनके शव को बरामद कर लिया था। इसके बाद ओम सिंह की बाइक को पुलिस थाने ले जाया गया लेकिन पुलिस स्टेशन पर कुछ ऐसा हुआ कि सब चौंक गए थे।

पुलिस अधिकारियों ने बाइक को ले जाकर पुलिस स्टेशन पर खड़ा कर दिया था। लेकिन सुबह होने पर जब देखा तो बाइक वहां से गायब थी, जिसके बाद में ढूंढने पर बाइक को एक्सीडेंट वाली जगह पर पाया गया।

इसके बाद दोबारा पुलिस ने बाइक को पुलिस स्टेशन ले कर चली गई थी लेकिन अचानक अगले दिन फिर बाइक हादसे वाली जगह पर पाई गई। लगातार तीन दिन तक ऐसा चलता रहा था।

चौथे दिन पुलिस ने अपनी निगरानी में बाइक को रखा और ऐसा कुछ हुआ कि सभी लोगो की आंखे फटी की फटी रह गई थी। बाइक अपने आप स्टार्ट होकर हादसे वाली जगह पर जा पहुंची थी, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने ओम बन्ना की बाइक को उनके परिवार वालों को सौंप दिया था।

पिता ने बनवाया मन्दिर

ओम बन्ना की बाइक के साथ ऐसा होता देख लोगों ने बाइक को स्थापित कर दिया और उनके पिता जोग सिंह ने ओम बन्ना का मंदिर बनवा दिया था। इसके साथ ही लोगों ने ओम बन्ना की पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया। बाइक में लोगों की आस्था होने लगी थी और समय के साथ-साथ मंदिर में भीड़ बढ़ने लगी। लोगों का मानना है कि ओम बन्ना के मंदिर से कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है।

पुत्र ने कहा पिता ने बदला है इतिहास

ओम बन्ना के पुत्र बताते हैं कि जिस जगह पर उनके पिता का एक्सीडेंट हुआ था वह दुर्घटना वाली जगह थी और वहां कोई ना कोई दुर्घटना होती रहती थी, लेकिन जब से उनके पिता का मंदिर बना है तब से उस जगह पर बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है। वह कहते हैं कि उनके पिता आज भी लोगों के बीच में रहकर उनकी मदद करते हैं।

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