प्रसन्नपुरी ने मरुस्थल की बंजर भूमि को कर दिया हरा भरा, खोया अपना बेटा लेकिन हौसला नहीं टूटा

इस तरीके से हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि देश के अंदर पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है। इसके लिए लगातार सरकार काम भी करती है। लेकिन उन योजनाओं को जमीनी स्तर पर पूरा होते हुए कम देखा जाता है। इसके बावजूद भी कई लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण को बचाने के लिए हमेशा आगे रहते हैं। लगातार देश के अंदर कोने-कोने से कई व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए अपना पूरा जीवन त्याग दिया है।

कई एनजीओ पूरी तरीके से पर्यावरण के लिए ही काम करते हुए नजर आ रहे हैं। इसी सूची में एक नाम है जोधपुर के प्रसन्न पुरी गोस्वामी। प्रसन्न पुरी गोस्वामी मेहरानगढ़ जिले गैलरी में रहते हैं। अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही पेड़ों से लगाव था। वह हमेशा से पेड़ों को देखकर उनके बारे में सोचते थे। पेड़ कैसे लगाया जाता है,कैसे बड़ा होता है इन सब को जानने की इच्छा हमेशा से उनके मन में थी। वह कहते हैं कि उनके पिता जी मंडोर व पब्लिक पार्क में होने हमेशा घुमाने ले जाया करते थे। पार्क में घूमते हुए वह हमेशा पेड़ों को देखते थे तभी उनका लगाव पेड़ों से हो गया था। वह कहते हैं कि उम्र के बढ़ने के साथ-साथ उनका लगाव पेड़ों से लगातार बढ़ता चला गया। पेशे से अध्यापक होने के नाते पुरी गोस्वामी बताते हैं कि वह जगह जगह पोस्टिंग के चलते जाते थे।

वह बताते हैं कि जिस जिस स्कूल में उन्हें पोस्टिंग के तहत भेजा जाता था,वह वहां जाकर के पेड़ लगा दिया करते थे। कई स्कूल को उन्होंने हरा-भरा करके पर्यावरण को बचाने में एक अहम भूमिका निभाई है। वे कहते हैं कि मेहरानगढ़ पहाड़ियों पर उन्होंने वृक्षारोपण किया था। वह देवकुंड तालाब से पानी लेकर के पेड़ों की देखभाल करते थे और लगातार इस कार्य को करते हुए वे चाहते हैं कि पर्यावरण को बचाया जा सके।

जोधपुर के महाराजा ने की मदद

प्रसन्न पुरी गोस्वामी बताते हैं कि एक रोज में है मेहरानगढ़ किले की रोड पर पेड़ लगा रहे थे। जब पेड़ लगा रहे थे तो उसी दौरान महाराजा गज सिंह का काफिला वहां से गुजर रहा था। जिसके बाद महाराजा गज सिंह ने उन्हें पेड़ लगाते हुए देख लिया जिसके बाद महाराजा ने अपने 1 सैनिकों को भेज करके प्रसन्न पूरी से बातचीत की। बातचीत करने के दौरान उन्हें पता लगा कि प्रसन्न पूरी पर्यावरण को बचाने के लिए एक बेहतरीन मुहिम चला रहे हैं। वह अपने दम पर इतने पेड़ लगा करके उनकी देखभाल भी कर रहे हैं। जिसके बाद महाराजा गज सिंह ने प्रसन्न पूरी की मदद करने का पूरा आश्वासन दिया। महाराजा गज सिंह ने मेहरानगढ़ ट्रस्ट के जरिए प्रसन्न पूरी की पूरी मदद करके वृक्षारोपण किया।

सरकार से भी मिली मदद

प्रसन्न पुरी गोस्वामी बताते हैं कि इसके बाद उन्हें जिला परिषद और नगर निगम समेत वन विभाग से भी सहायता मिली। उन्होंने सभी की मदद से 14 हेक्टर की जमीन पर हजारों पेड़ लगाए। इन पेड़ों में उन्होंने फल फूल और औषधि वाले पेड़ भी लगाए। वह कहते हैं कि छायादार पेड़ लगाने की वजह से गर्मी में लोगों को राहत मिलती है। उन्हें देखकर खुशी होती है कि लोग उनके लगाए हुए पेड़ छाया में बैठ करके आराम करते हैं।

गलती के चलते बेटे को खोया

पर्यावरण को बचाने अच्छी राह में प्रसन्न पुरी गोस्वामी के साथ एक बहुत बड़ा हादसा हो गया। वे बताते हैं कि एक रोज उन्हें नगर के बाहर जाना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने अपने 28 साल के बेटे को कहा कि वह जब तक ना आ जाए तब तक पौधों में दवाई ना छिड़की जाए। लेकिन उनके बेटे ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और दवाई छिड़कने के सीखने के भाव से उन्होंने पौधों में दवाई छिड़क दी। इसके बाद दवाई की अधिक मात्रा होने की वजह से उनके बेटे का सांस नहीं आई और उन के बेटे की मौत हो गई। प्रसन्न पुरी गोस्वामी बताते हैं कि इस हादसे के बाद उन्हें लगा कि उन्हें यह सब काम छोड़ देना चाहिए। लेकिन उनके भीतर से एक आवाज आई कि उनका एक बच्चा गया है तो क्या हुआ पेड़ों के माध्यम से उन्होंने हजारों बच्चे खड़े कर दिए हैं।

देते हैं यह संदेश

प्रसन्न पुरी गोस्वामी बताते हैं कि वह पर्यावरण को बचाने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि देश में आने वाले समय की पीढ़ी के लिए शुद्ध हवा को तैयार किया जा सके। वे मानते हैं कि जिस तरीके से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तो आने वाले कुछ सालों में हर व्यक्ति अपने कंधे पर ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर टांग करके सांस लेगा। लेकिन अगर पर्यावरण को बचाया जा सका तो हम लोग आने वाली पीढ़ी समेत खुद के लिए भी शुद्ध वातावरण को तैयार कर सकते हैं। वह कहते हैं कि हर व्यक्ति को पर्यावरण को बचाने के लिए एक ना एक पेड़ तो जरूर लगाना चाहिए, साथ ही पेड़ लगाकर की पूरी देखभाल करनी चाहिए। पेड़ की देखभाल के बाद उसको बड़ा करके शुद्ध ऑक्सीजन के लिए तैयार करना चाहिए।

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