राजस्थान का अनोखा मंदिर जहाँ होती शादी की मन्नत पूरी, कष्ट निवारण का अद्भुत स्थल

परिवार बनाए वंश बढ़ाए,
ऐसा दे वरदान वो।
खुशियों की तुम झोली भर लो,
जावो आशीर्वाद लो।

शादी का वरदान देने वाला नैनी बाई का मंदिर।
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दोस्तों नमस्कार,

दोस्तों आज मैं आपको जोधपुर (Jodhpur) के रसिक बिहारी जी के मंदिर (Rasik Bihari Mandir) में ले चलता हूं। जिसको महाराजा जसवंत सिंह (Maharaja Jaswant Singh) जी ने 136 साल पहले बनाया था। इसको नैनी बाई का मंदिर (Naini Bai Ka Mandir) के नाम से भी पुकारते हैं। यह मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि आप सड़क पर से जब खडे होकर देखोगे तो बिल्कुल सामने राधा गोविंद की मुख्य मूर्ति दिखाई देती है।

यहां पर गणेश जी, रसिक गणपति, रिद्धि सिद्धि, मूषक, शुभ और लाभ सब एक साथ विराजमान है। यहां पर शादी और पुत्र उत्पत्ति से संबंधित सभी की मनोकामना पूर्ण होती है। जो भी अपनी यह इच्छा लेकर आता है उसकी इच्छा पूर्ण होती है।

यहां पर शिव परिवार, राम परिवार और सूर्य भगवान का रथ भी विराजमान है। यहां पर हनुमान जी महाराज की मूर्ति जैसलमेर के पत्थर से बनी हुई है। ऐसी मूर्ति कहीं नहीं मिलेगी। यहां पर नंदी भगवान भी विराजमान है। यहां पर आप मांगोगे तो मिलेगा और यदि नहीं मांगोगे तो भी कष्ट निवारण होता है, मन्नत पूरी होती है।

यहां पर सुबह-सुबह सैकड़ों की तादाद में औरतें आरती के समय पर आती हैं। और पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सभी की देवस्थान विभाग से एक विनती है कि वह कुछ बजट दे, जिसे जन सुविधाएं यहां पर बनाई जा सके। जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

यह मंदिर जोधपुर में टाउन हॉल के पास में उदय मंदिर (Uday Mandir) नामक स्थान पर बनाया हुआ है। एक बार की बात है उस मंदिर में स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Mandir) दर्शनार्थ हेतु आए थे। उस समय महाराजा जसवंत सिंह नैनी नाम की एक कुत्तिया के पीछे पीछे भाग रहे थे जो उनको बहुत प्यारी थी। स्वामी जी को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने कहा की एक बड़ी रियासत के धनी होकर एक कुत्ते के पीछे दौड़ रहे हो।

स्वामी जी की इस बात का महाराज को बहुत धक्का लगा और बुखार से कांपने लग गए। इसके बाद में उन्होंने मोह माया सब कुछ त्याग दिया और भगवान को सब कुछ समर्पित कर दिया।

” रसिक बिहारी जी की जय ”

अपने विचार।
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मानव सेवा सबसे बड़ी,
कर सको तो कर लो।
जीवन मिला है एक बार,
इस समदर में तर सको तो तर लो।

विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।

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