सेना का वो ‘चीता’ जिसनें 2 बार दी मौत को पटखनी, 9 गोली लगने के बाद ड्यूटी पर लौटे चेतन मीणा

देश के वीर जाबांजों की कहानियां हम आपको जितनी बताएं उतनी ही कम है. आज हम आपको एक ऐसे जवान की कहानी बताएंगे जिसने देश के लिए एक नहीं दो बार मौत को पटखनी दी। हम आपको बता रहे हैं सीआरपीएफ के चेतन चीता के बारे में जिन्होंने गोली लगने के बाद भी आतंकवादियों के सामने सीना तान कर भारत की रक्षा की।

कश्मीर ऑपरेशन में आतंकियों पर टूट पड़े चेतन

राजस्थान के कोटा जिले के रहने वाले चेतन चीता मीणा सीआरपीएफ के कमांडिंग अफसर के रूप में कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

दरअसल भारतीय सेना को जब इस बात की खबर मिली कि बांदीपोरा इलाके में आतंकवादी गतिविधि होने वाली है तब सीआरपीएफ कमांडिंग अफसर चेतन ने अपनी टोली का नेतृत्व किया और आतंकवादियों के मंसूबों को धराशाई करने के लिए उन पर हमला बोल दिया।

9 गोली लगने के बाद भी सेवा में चेतन

14 फरवरी 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा इलाके में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चेतन चीता मीणा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हम आपको बताएं तो आतंकवादियों ने उन्हें गोली से छलनी कर दिया था और चेतन को 9 गोलियां लगी थी। वहीं चेतन ने भी जवाबी हमले में 16 राउंड की फायर करके तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया था।

डॉक्टर्स और लोगो की दुआओं ने बचाया

आतंकी मुठभेड़ में चेतन को 9 गोलियां लगी थी और उनके हाथ, पैर कूल्हे और पेट में गोली लगी थी। वही हम आपको बताते हैं तो उन उनके सिर और मुंह पर भी छर्रे लगे थे। इस वजह से उन्हें अपनी दाहिनी आंख भी गंवानी पड़ी।

चीता नाम कैसे पड़ा ?

चेतन के चीता नाम के पीछे भी काफी रोचक किस्सा है। चेतन खुद बताते हैं कि चीता हमारा गोत्र है और मेरे पिता का नाम रामगोपाल चीता है। हमारे मीणा समाज में रामगंजमंडी-मोड़क आदि जगहों पर चीता सरनेम होता है। हमारा गांव मोड़क है, जो कोटा से कुछ दूर है।

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