Lokdevta Baba Ramdev जिन्होंने आजीवन समाज के लिए काम किया, माना जाता था भगवान कृष्ण का अवतार

Lokdevta Baba Ramdev

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Lokdevta Baba Ramdev पश्चिमी लोग प्रगति और उदारता की बात करते है तो हमारे देश को बाद में गिनते है। वो खुद को आधुनिक दौर में सामाजिक समानता के मामले में खुद को पहली सफ़ में बिठाते है लेकिन वो भूल जाते है कि भारत भूमि ने नानक जैसे समाज सुधारक पैदा किए है जिन्होंने वृहद स्तर पर समाज में बदलाव किए सिक्ख संप्रदाय उदारता का जीता जागता उदाहरण है। नानक कहते थे कि दुनिया में जितने भी नीच है उन सब से नीच मैं हूं। लोकदेवता Lokdevta Baba Ramdev

 

मध्य कालीन युग में पश्चिमी राजस्थान में रुणेचा के अजमल जी व मैनादे के घर बाबा रामदेव जी भाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स. 1409 को उंडू काश्मीर (बाड़मेर) में जन्म लिया जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। Lokdevta Baba Ramdev

उन्होंने अपना समस्त जीवन सामाजिक उत्थान व गरीब लोगों के हित में समर्पित कर दिया। उन्हें ना केवल हिन्दू धर्म अपितु मुस्लिम संप्रदाय भी उसी आस्था के साथ पूजता है। हिन्दू बाबा रामदेवजी तो मुस्लिम रामसापीर के नाम से जानते है। ऐसी और रोचक कहानियाँ जानने के लिए यहाँ क्लिक करें!

 

कई पुरातन कहानियां हैं प्रचलित Lokdevta Baba Ramdev

Lokdevta Baba Ramdevरामदेव जी से जुड़ी कई पुरातन कहानियां प्रचलित हैं, एक लोक कथा के मुताबिक एक बार मक्का से रामदेव जी के चमत्कारों की थाह लेने को पांच पीर आए। अतिथि देवो भव: की भावना से उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। बाबा के घर जब पांचों पीरों के भोजन हेतु जाजम बिछाई गई तब भोजन पर बैठते ही एक पीर बोला कि अरे, हम तो अपने खाने के कटोरे मक्का ही भूल आए हैं। हम तो अपने कटोरों में ही खाना खाते हैं, दूसरे के कटोरों में नहीं, यह हमारा प्रण है। Lokdevta Baba Ramdev

Lokdevta Baba Ramdev अब हम क्या कर सकते हैं? आप यदि मक्का से वे कटोरे मंगवा सकते हैं तो मंगवा दीजिए, वरना हम आपके यहां भोजन नहीं कर सकते। तब बाबा ने अलौकिक चमत्कार दिखाया और पीरों के कटोरे उनके सम्मुख लाकर रख दिए इस घटना से वो नतमस्तक होकर बोले कि आप तो पीरों के पीर हैं।

जीवनकाल में सामाजिक उत्थान के लिए कई काम

Lokdevta Baba Ramdev रामदेव जी ने अपने जीवनकाल चमत्कारों से लूले लंगड़े तथा बीमार लोगों का इलाज किया तथा मुख्य कार्य उन्होंने समाज जागरूकता व दलित उत्थान को लेकर किए। जिन लोगों से छुआछूत की जाती थी उनको साथ बिठाकर ऊंच-नीच के भ्रम को खत्म करने के प्रयास किए। वहीं जिस वर्ग को मंदिर के आसपास भटकने नहीं दिया जाता था उन्हें मंदिर में रिखिया बनाकर भजन करवाए तथा आज भी थार के मंदिरों में जागरण तब तक संपन्न नहीं होती जब तक रिखिया आकर भजन नहीं करते। जीवन पर्यन्त सामाजिक सुधार कार्यों में लगे रहे।

बता दें कि जैसलमेर के रामदेवरा में हर साल भादवा की बीज को मेला भरता है जहां पूरे देश के श्रद्धालु आकर धोक लगाते है। लाखों की संख्या में पैदल यात्री आते है कुछ रेंगकर तो कुछ भिन्न करतब करते हुए उनके प्रति लोगों में अटूट श्रद्धा व विश्वास है। लोगों कहते है कि उनकी मन्नतें पूरी होती है। Lokdevta Baba Ramdev

हिन्दू मुस्लिम सांप्रदायिक एकता के प्रतीक बाबा के यहां सभी धर्मों के श्रद्धालु आते है। उनके कार्यों को हमेशा याद रख उनके आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा है। Lokdevta Baba Ramdev

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