1000 साल पुराने बंशीवाला मंदिर का रह’स्य,खुदाई में प्रकट हुआ शिवलिंग जहाँ खुद-ब-खुद चढ़ता पानी

आज हम आपको बताएंगे नागौर जिले में स्थित कृष्ण जी के बंशीवाला मंदिर के बारे में, बंशीवाला मंदिर जी के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर कई हजार साल पुराना है वराह अवतार भगवान कृष्ण ने पृथ्वी के उद्धार के लिए हुआ था। वही आपको बताएं तो बंशीवाला मंदिर में साल 1970 से अवतार दिवस पर उत्सव मनाया जाता है। हाल ही में साल 2020 में इस अवतार उत्सव के 50 वर्ष पूरे हुए थे और इस दौरान भी बंशीवाला मंदिर में धूमधाम से उत्सव मनाया गया था।

वही हम आपको बताएं तुम मंदिर में सबसे खास बात है वहां का शिवलिंग बताया जाता है। यहां खुद ब खुद शिवलिंग प्रकट हुआ था, मंदिर के लगभग 30 से 50 फीट की जमीन के नीचे प्राप्तलेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर के पुजारी जी बताते हैं कि खुदाई के दौरान यह शिवलिंग प्रकट हुआ था। साथ ही इस शिवलिंग के बारे में सबसे खास बात यह है कि शिवलिंग पर खुद-ब-खुद पानी चढ़ता है।

1 हजार साल पुराना हैं मन्दिर

बंशीवाला मंदिर के बारे में पुजारी जी बताते हैं कि यह मंदिर करीब 1000 वर्ष पुराना है। मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यहां पर की गई कांच और शीशे से चित्रकारी और कलाकारी है। मंदिर परिसर में बेहद सुंदर तरीके से शीशे और कांच का इस्तेमाल करके चित्रकारी की गई है।

उत्सवों का रहता है माहौल

हम आपको बताएं तो बंशीवाला मंदिर में पूरे साल कई दिनों तक उत्सव का माहौल रहता है। यहां जन्माष्टमी, फाल्गुन, नरसी अवतार, दीपावली, कार्तिक स्नान आदि कई साल के कई दिनों तक यहां उत्सव का माहौल रहता है। बंशीवाला मंदिर में नागौर जिले के साथ राजस्थान व अन्य राज्यों के लोग दर्शन करने आते हैं। मंदिर में मेले के दौरान लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। बताया जाता है कि यहां भगवान कृष्ण लोगों की मन्नतें खुद सुनकर उनका उद्धार करते हैं।

कोरोना काल में मन्दिर पर भी असर

कोरोनावायरस महामारी के दौरान बंसी वाला मंदिर पर भी असर पड़ा था। बीमारी दौरान जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। तब उन्होंने सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया था। इसी दौरान बंशीवाला मंदिर भी कोरोना का काल में बंद कर दिया गया था। पुजारी जी बताते हैं कि मंदिर के भीतर नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती थी। लेकिन मंदिर को आम भक्तों के लिए नहीं खोला जाता था।

प्रबोधिनी एकादशी के दिन बनाया गया उत्सव

वही कोरोनावायरस महामारी के बाद नवम्बर महीने में भारत में कोरोना के केस आने कम हो गए थे। सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी थी,तब प्रबोधिनी एकादशी के दिन कई महीनों के अंतराल के बाद उत्सव के रूप में मनाया गया था। कोरोना काल के बाद मंदिर खुला तब इसी दिन से मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत की गई थी। इस दौरान भगवान की 11 अलग-अलग स्वरूपों में झांकियां बनाई गई थी। वही सरकार के दिशानिर्देशों के साथ ही बंशीवाला मंदिर में लोगों को दर्शन करने के लिए इजाजत दी गई थी। झांकियों में भगवान को बालस्वरूप, श्वेत वस्त्र धारण, पंचामृत अभिषेक, लाल रंग की पोशाक, पीले रंग की पोशाक व अन्य कई तरीकों से सजाया गया था। भगवान बंशीवाला मंदिर में लोग मन्नते मांग कर अपने मन की मुरादे पूरी करते हैं।

Add Comment

   
    >