राजस्थान रा लोकदेवता, ऊंठां रा रखवाळा पाबूजी महाराज री कहाणी

राजस्थान ले लोक मांय एक दूहौ बड़चावौ है।जकौ कीं इण भांत है- “पाबू हड़बू रामदे, मांगळिया मेहा, पांचू पीर पधारजौ गोगाजी जेहा

ए पांचू पीर राजस्थान रे लोक मांय आपरौ जब्बरौ परभाव राखै।इण आलेख मांय आपा बात करांला पाबूजी री पाबूजी रो जलम जोधपुर जिले रे कोळू गांव में 1239 ई. मे हुयौ।पाबूजी मारवाड रा राव धांधल रा बेटा हा, मां रो नांव कमलादे हो ।पाबूजी रो लोक जीवन बहुत अलग हो।वे लोक प्रेमी हा।उंआरौ ब्याव अमरकोट रै सोढा सूरजमल री बेटी सूप्यारदे सूं हुयौ।

पाबूजी रे जीवन री स्सै सूं न्यारी-निरवाळी घटना ही देवल चारणी री गांंयां नैं बचावणी।लोक कथा इण भांत है के देवल चारणी नैं पाबूजी आपरी बै’न मानता।देवल खनै कई गांयां ही, उआं गांयां री रखवाली कर सांभ देवल आपरी घोड़ी सूं करती उण रो नांव हो केसर काळवी, पाबूजी रो बै’नोई जायल रो जिंदराव खींची हो।उणरी निजर एकर उण घोड़ी पर पडी़, उण कीणी भांत उण घोड़ी नैं आप सारू लै’ण री आफळां करणी सरू कर दी।

पाबूजी रो ब्याव हो वां देवल सू घोड़ी मांगी, देवल आपरे भाई ने घोड़ी दे दी।पाबूजी रे अर वांरै बै’नोई खींची रे आपस में बणती कोनी ही।जिंदराव खींची मोकौ देख’न देवल री गांयां नमस्ते नैं चोर लीन्हीं कर इण बात रो पतो जद पाबूजी नै लागौ तो वे फेरां में सूं उठ’न देचू गया जठै खींची सूं गांयां नैं छुडायी अर बठै ही पाबू जी री मुठभेड़ हुयी अर वे वीरगति नैं प्राप्त हुग्या।अधपरणी सोढी राणी सती व्हैगी।प्लैग रक्षक अर उंठा रा देवता रे रूप मांय ई पाबूजी री ख्याती है।

एक जाणकारी रे मुताबक राजस्थान में ऊंट लावण रो श्रेय पाबूजी नैं जावै।सदियां सूं ऊंठा रा रखवाळा रैबारी पाबूजी नैं आपरा आराध्य मानै। थोरी भोपा अर मेहर मुसलमान पाबूजी नैं विसेस पूजै।मेहर तो पीर ई मानै।कोळूमंड मांय जब्बरौ मंदिर बण्यैडो़ है।चेत री अमास नैं मेळौ भरीजै।कोलुमण्ड में इनका सबसे प्रमुझ मंदिर है, जहाँ प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या को मेला लगता है।

पाबूजी सूं सम्बंधित गाथा गीत ‘पाबूजी के पावड़े’ माठ वाधजंतर साथै नायक अर रेबारी लोग गावै। ‘पाबूजी की फड़’ नायक जाति रे भोपां द्वारा ‘रावणहत्था’ वाद्य रे साथै बांची जावै।चंदा-डेमा अर हरमल पाबूजी रै रक्षक सै’योगी रे रूप में जाण्या जावै।

पाबूजी री फड़/पड़
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पाबूजी री फड़ आखै राजस्थान मांय चावी है।थोरी भोपा इणनैं बांचै।फड़ पाबूजी रै आखे जीवन नैं आप में अंकित करयोडौ़ एक चित्र हुवै।गांवता-गांवता भोपां रावणहत्थे री धुन माथै नाचै भी।

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