कैसा था 1947 में बंटवारे का खौफनाक मंजर, इस बुजुर्ग ने बताया कयामत के दिन का आंखों देखा हाल

1947 में हुआ भारत-पाकिस्तान बंटवारा मानव सभ्यता की बड़ी त्रासदियों में से एक है, जिस दिन धर्म के नाम पर जनजीवन में उथलपुथल मच गई थी और लोग एक लकीर के इधर-उधर भागने लगे। आज हम आपको उस मंजर की दास्तां  सुनाएंगे जिसको सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस मंजर को जिसने आंखों से देखा होगा उसकी क्या आपबीती रही होगी। बरसलपुर बिजैरी गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति ने 1947 की पूरी दासतां सुनाई।

बुजुर्गों के कंधों पर तोप रख चलाते थे अंग्रेज

बुजुर्ग बताते हैं अंग्रेजों का आतंक इतना ज्यादा फैल गया था कि हिंदू मुसलमान सबने मिलकर फैसला लिया कि कुछ भी हो जाए पर अंग्रेजों को यहां से निकालना है। अंग्रेज लोग छोटे-छोटे बच्चों के पेट में सेल डालकर सबको आतंकित करके रखते थे।

उस समय अनपढ़ व्यक्तियों की संख्या ज्यादा थी और तोपसी बहुत कम थे। तोपसी उन्हें कहते हैं जो तोप चलाने में माहिर होते हैं। ऐसे में अंग्रेज बुजुर्गों के कंधों पर तोप रखकर चलाते थे जिससे झटका लगने से कई मौत होती थी।

सीमा रेखा को लेकर बुजुर्ग बताते हैं कि अपने सैनिक बहादुर और ज्यादा थे। ऐसे में जो सीमा बीकानेर के पास बनी थी उसको धीरे-धीरे बातें करते-करते 25 कोस दूर ले गए और वहां तक पर सीमा रेखा बना दी।

मजदूरी करते करते अपनों से बिछड़े !

जब 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उस समय हमारे मिलने वाले रिश्तेदार सब पाकिस्तान के हिस्से वाली जगह में मजदूरी करने गए थे। ऐसे में जब बंटवारे का ऐलान हुआ तो उस समय आज जैसे यातायात  के साधन नहीं होने के कारण वो लोग हमेशा के लिए वहीं पर रह गए।

अब गंदी हो गई है राजनीति

भारत आज भी सोने की चिड़िया होता लेकिन यहां की राजनीति पर कटाक्ष करते हुए बूढ़े बाबा कहते हैं कि गंदी राजनीति ने लूट लूट करके खा लिया और गरीबों को आपस में लड़ा कर हिंदू और मुसलमान बना दिया। आज जितना गाय  पर हल्ला होता है। यह सब बकवास है। हमारी जीविका भी गाय से चलती थी, जिनको हम प्राणों  से ज्यादा प्यार करते थे।

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