10 दिन बाद जिन्दा लौटा मृ’त व्यक्ति, बोला – “मै जिन्दा हूँ”, तस्वीर पर चढ़ी माला देख उड़े होश

अगर हम आपसे कहे कि एक व्यक्ति को अस्पताल प्रशासन ने मृ’त घोषित कर दिया। परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन उसके 10 दिन बाद वह व्यक्ति जिंदा घर वापस आ गया। यह सुनकर शायद आपको थोड़ा अजीब लगे, लेकिन यह घटना आई है राजस्थान के राजसमंद शहर से जहां जिला अस्पताल और पुलिस ने ऐसी लापरवाही की है।

पूरे मामले की बात करें तो 11 मई को मोही रोड पर एक अज्ञात श’व बरामद किया गया, जिसके बाद लोगों ने 108 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस को बुलाया। जिले के आरके अस्पताल में भर्ती उस व्यक्ति को भर्ती करा दिया गया। इसके बाद जिला अस्पताल ने पत्र भेजकर पुलिस को पहचान करने के लिए कहा। वहां उन्होंने वायरल फोटो के आधार पर शव की पहचान कर ली। उन्हें बताया गया कि उनके भाई ओंकार लाल गाडोलिया का नि’ध न हो गया है। जब नानालाल ने श’व की पहचान करने के लिए पुलिस कहा उन्होंने बताया कि उनके भाई के हाथ में कलाई से कोहनी तक चोट का निशान है और उनके बाएं हाथ की दो उंगलियां भी मुड़ी हुई है।

लेकिन पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने कहा कि श’ व 3 दिन पुराना हो गया है और ड्री फ्रिज में रखा था। इसलिए अब पहचान होना मुश्किल है, लेकिन यह उन्हीं के भाई का श’व है और श’व परिजनों को थमा दिया। यहां तक कि बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया और बिना पोस्टमार्टम के पंचनामा बनाकर श’ व परिजनों को सौंप दिया। जिसके बाद परिवार वालों ने ओंकार काल लाल समझ कर दिए गए श’ व का अंतिम संस्कार कर दिया। घटना के 10 दिन तक घर में गम का माहौल रहा।

अब अचानक 23 मई रविवार को ओंकार लाल घर आ गए उन्हें जिंदा देखकर सभी लोग चौक गए। ओंकार लाल ने बताया कि वह बिना बताए 11 मई को उदयपुर चले गए थे, वहां उनकी तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद वह अस्पताल में भर्ती हो गए। 4 दिन अस्पताल में रहने के बाद छुट्टी मिलते ही वापस घर आ गए। लेकिन वहां आकर ओंकारलाल ने देखा कि उनकी फोटो पर माला चढ़ी है और छोटा भाई सर मुंडवा कर घूम रहा है। इसके बाद वह भी चौक गए।

ओंकार लाल के भाई नाना लाल ने बताया ओंकार लाल उदयपुर में ही रहता है और लॉकडाउन के बाद गांव आया था। लेकिन बिना बताए 11 मई को उदयपुर चला गया और वहां बीमार हुआ तो खुद ही भर्ती हो गया।

इस बीच एक बड़ा सवाल कांकरोली पुलिस और आर के अस्पताल के प्रशासन पर उठ रहा है। उनकी लापरवाही पर लोग सवालिया निशान उठा रहे हैं। इसके साथ सवालिया निशान सरकार पर भी उठता है कि बिना पहचान किए किसी अन्य व्यक्ति का श’व परिवार वालों को कैसे दे दिया गया। साथ ही बड़ा सवाल यह भी उठता है कि जिस शव को ज’ लाया गया वह किसका था। उसके परिवार वाले कौन है, उसकी पहचान की ही नहीं गई। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर लोग नाराज हैं और सरकार से लगातार सवाल पूछ रहे हैं।

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