राजस्थान का प्रसिद्ध ऊँची हाइट का शिवराज घोड़ा जिसने किया अपने बाप दादाओं का नाम रोशन

खानदान तो हर कोई देखे,
पशु-पक्षी भी इसमें शामिल है।
लाइन सभी की होती है,
देखते वो हैं जो काबिल है।

दोस्तों नमस्कार।

आज मैं आपको ऐसे जानवर की कहानी बता रहा हूं। जिसने पुष्कर मेले में अपने चर्चे बिखेर रखे हैं। जिसने कई बार अपने बराबर वालों को पछाड़कर इनाम जीता है। मैं बात कर रहा हूं शिवराज घोड़े की। झुंझुनू जिले के भामर वासी गांव के रहने वाले शिवराज घोड़े के मालिक ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि मेरा घोड़ा पुष्कर मेले में सबसे अलग नस्ल का घोड़ा है।

उन्होंने बताया की घोड़े की भी लाइन होती है। अर्थात नस्ल होती है। अर्थात उसका खानदान होता है। जैसे घोड़े की नानी कैसी है, मां कैसी है, उसकी सात पीढ़ियों तक की नस्ल को देखने के बाद में घोड़े की नस्ल का मालूम पड़ता है। अपने घोड़े की चमक दिखाते हुए उन्होंने बताया कि इसके मालिश करना तथा इसका खानपान सबसे अलग है। इस पर बहुत खर्च आता है। घोड़ा कुत्ते की तरह वफादार जानवर होता है। घोड़े की वफादारी तो जग जाहिर है। इसकी क्या इच्छा है, किस वक्त यह क्या कहता है, मालिक सब कुछ समझ जाता है।

रिंग में उतारने के नाम पर उन्होंने कहा कि इस वर्ष मैं रिंग में नहीं उतार रहा हूं। इस समय इसकी उम्र छः वर्ष हो चुकी है। इसलिए इसके बच्चे ही अगले वर्ष तक रिंग में उतारने लायक हो जाएंगे। तो उन्हीं को उतारेंगे। मैं मेरे घोड़े को केवल मेटिंग के काम में ही लेता हूं। जिससे लोगों को नस्ल सुधार का लाभ मिले।

जोधपुर हॉर्स शो में तथा स्टेट ग्लोरी शो में दो बार यह विनर भी रह चुका है। यह देव दरबार लाइन का घड़ा है। इसकी ऊंचाई 5:30 फीट है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार बच्चे की मां उसकी पूरी भाषा समझ जाती है, उसी प्रकार घोड़े का मालिक भी उसकी भाषा को समझ लेता है।

देखरेख के बारे में उन्होंने बताया कि सुबह इसको वाकिंग करवाना, इसका दाना पानी देना, इसकी मालिश करना, यह सारा कार्य समय के अनुसार किया जाता है। और इसलिए इसके अंदर चमक बरकरार है। भामरवासी के संजीव ने इस घोड़े को जोधपुर से खरीदा था। अब इस घोड़े को जयपुर के व्यक्ति ने खरीद लिया है। इस घोड़े के बच्चे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से अगले वर्ष तक तैयार होकर आ जाएंगे।

घोड़े के मालिक ने झलको चैनल की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए बहुत-बहुत बधाई दी। और कहां कि हमारे घोड़े को पूरे भारत में दिखाने पर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

आपके विचार।
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समय समय का फेर है,
समय-समय की कहानी।
जो समय की कदर करें,
मंजिल उसी की आणि।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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