धाकड़ छोरियों का सीकर का ब्राज़ील गाँव विशेषताएं देख रह जाओगे हैरान, पूरे राजस्थान में है चर्चे

नाम रखो तो ऐसा रखो,
जिससे कोई सीख मिले।
गर्व से सीना फुले सभी का,
देखे उसको लीक मिले।

ब्राजील देश की तर्ज पर सीकर का ब्राजील।
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दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे विशेष गांव की दास्तान सुना रहा हूं। जिसको सुनने मात्र से ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। विश्व पटल पर खेल के मैदान में अपनी विशेष छाप छोड़ने वाले ब्राजील (Brazil) के नाम पर सीकर (Sikar) जिले में एक गांव है, उसका नाम भी ब्राजील गांव (Brazil Village) है। इस गांव ने उस देश की विशेषताओं के अनुरूप ही खेल के मैदान में नए आयाम स्थापित किए हैं।

ब्राजील नाम कैसे पड़ा।
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कोलीडा ग्राम (Kolida Village) का ही दूसरा नाम ब्राजील है।ब्राजील की स्कूल में पहुंचने पर वहां के स्टाफ ने महेंद्र से बात करते हुए बताया कि हमारी स्कूल के अंदर स्टाफ पूरा है। सभी बच्चों और स्टाफ ने मिलकर खेल मैदान को साफ-सुथरा किया है। इसी वर्ष से राजस्थान में फुटबॉल के गेम को शिक्षा विभाग में मान्यता मिली है। और उसके बाद में एक साल की मेहनत के अंदर हमारी स्कूल के नब्बे बच्चो ने जिला स्तर पर खेलकर तथा 12 बच्चों ने राज्य स्तर पर खेल कर स्कूल का नाम रोशन किया है। जिसमें 14 वर्ष, 17 वर्ष और 19 वर्ष के आयु वर्ग में है।

स्कूल के अध्यापक ने बात करते हुए बताया कि हमारा तो एक ही नारा है कि ” धाकड़ बनो छोरियों धाकड़ बनो।” हमारे स्कूल की चार छात्राओं ने राज्य स्तर पर खेलकर स्कूल और गांव का नाम रोशन किया है। जिनमें हमारी स्कूल की एक छात्रा के प्रतिनिधित्व में ही सभी छात्राओं ने फुटबॉल खेला है।

पंकज कुमार गोल्ड मेडलिस्ट, नरेंद्र कुमार गोल्ड मेडलिस्ट, राजेश कुमार गोल्ड मेडलिस्ट, संजय, दीपेंद्र, सिद्धार्थ आदि बच्चों ने गांव का और स्कूल का नाम रोशन किया है। जिन्होंने अपने गांव को फुटबॉल का जनक बताया और कहा कि इसीलिए इसका नाम ब्राजील पड़ा है। गांव वालों के सहयोग से तथा स्कूल के जज्बे दार स्टाफ के कारण हम आज इन ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं। यह हमारी स्कूल और गांव की देन है।

स्कूल के बच्चों ने साक्षात्कार में अपने स्टाफ का परिचय करवाते हुए सब की तहे दिल से प्रशंसा की। ओम प्रकाश जी,ममता जी, मीना जी, संतोष जी चौधरी, अनीता जी, अरविंद जी, मुकेश जी, महेश जी, नेमीचंद जी, अरुणजी, सुल्तान जी, नाथूजी, भंवरजी, करण जी, विजय पाल जी और सरोज जी आदि का परिचय करवाते हुए इनके अंदर महादेवी वर्मा, लता मंगेशकर तथा अनेक कलाकार, खिलाड़ी, नेता, मैनेजर, आर्किटेक्ट, पर्यावरण प्रेमी आदि इनके अंदर देखें हैं।

अन्य।
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रात को 11:00 बजे तक बच्चों को साथ लेकर, अध्यापकों ने गांव के सहयोग से इस मैदान को साफ सुथरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उसी की बदौलत एक साल के अंदर इन बच्चों ने कुछ करके दिखाया है। कोई अध्यापक ट्रैक्टर के पीछे बैठा हैं, तो कोई फावड़े से काम कर रहा है।

प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका ने नए तरीके से पढ़ाई करने का फार्मूला ईजाद कर रखा है। जिससे बच्चों के अंदर पढ़ाई के साथ में मनोरंजन भी होता है। सभी अध्यापकों ने झलको सीकर की तहे दिल से प्रशंसा की।

” जय झलको ____जय सीकर। ”

अपने विचार।
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अध्यापक एक सेवा का जज्बा,
नींव यहीं से बनती है।
भली बुरी तकदीर यहीं से,
देश दुनियां की खिलती है।

विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।

 

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