सीकर के इस गाँव में दिल दहलाने वाली बीमारी का प्रकोप रातों रात खाली हुए पशुओं के बाड़े

पशुपालन और खेत कीसानी, हमारी आय का जरिया है।
यही हमारा वेतन भत्ता, नदी तालाब और दरिया है।

दोस्तों आज मैं आपको सीकर जिले के दांतारामगढ़ (Dantaramgarh) तहसील के गांव बासनी कला (Basni Kalan) में लिए चलता हूं।जहां पर गाय,भैंस और बकरियों पर महामारी का ऐसा प्रकोप आया है, जिससे रातों-रात लोगों के बाड़े खाली हो गए हैं।

महेंद्र से बात करते हुए गांव के लोगों ने बताया कि हमारे यहां पर एक महीना हो गया, इस महामारी को आए हुए, लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा हमारी खैर खबर नहीं ले रहा है। चुनाव के समय सब आ जाते हैं लेकिन इस वक्त कोई भी नहीं आ रहा है।

कैसी बीमारी है।
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एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि रात को हमारी एक ₹ 80000 की भैंस और दो बकरी खत्म हो गई। पशु खड़े खड़े ही गिर जाता है, और खत्म हो जाता है।।डॉक्टर को दिखाया, जिस को ₹7000 दिए, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। डॉक्टर भी कह रहे हैं कि हमारे समझ में नहीं आ रही है।

एक अन्य महिला तथा उसके पुत्र ने रो रो कर कहा कि हमारी सौ बकरियों में से साठ बकरियां खत्म हो गई। हम क्या करें।हम कहां जाएं। हमारी रोजी-रोटी का साधन यही है। हमने आसपास के सभी डॉक्टरों को बुला कर दिखा दिया, लेकिन किसी के भी समझ में नहीं आ रहा है। डॉक्टर ने सुई लगाई लेकिन सुई लगाने के बाद में भी ज्यादा बकरियां मरी है। गांव के चारों तरफ के खेतों में मरी हुई बकरियां ही बकरियां पड़ी है।

किसी नेता ने आकर देखा।
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एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि हमारी सुध बुध लेने वाला यहां कोई नहीं है। सरकार को हम गरीब व्यक्तियों के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए। हम गरीब व्यक्तियों की रोजी रोटी के लिए पशुपालन ही एक सहारा है। रातो रात बाड़े के बाड़े खाली हो गए। अब डॉक्टर भी आने से मना कर रहे हैं, कोई नहीं आता है।

एक पढ़ी-लिखी लड़की ने महेंद्र से बात करते हुए बताया कि मुंह में छाले, पैरों में छाले होते हैं, खड़ी खड़ी ही गिरती है और वह खत्म हो जाती है। बकरी के छोटे छोटे बच्चे तो एक बार पो–पो करते हैं, और खत्म हो जाते हैं। डॉक्टर कहते है कि पेरासिटामोल दे दो ठीक हो जाएंगे। उस लड़की ने कहा कि गांव में बकरी तो लगभग सभी मर गई। सात आठ भैंस भी मर गई। एक आध बकरी किसी के जिंदी हो सकती है।

उसने बताया कि हमारे दो भैंस थी, उसमे से एक मर गई।चार बकरी थी,दो मर गई। इन दो का भी कोई विश्वास नहीं है, कभी भी मर सकती है। सुबह के समय में सबसे ज्यादा पशु मर रहे हैं। उसने बताया कि सरकार मुआवजा दे या ना दे, लेकिन उचित कार्रवाई कर दवाइयों का बंदोबस्त करवाएं।

गांव के लोगों ने झलको सीकर को बहुत बहुत शुभकामनाएं देते हुए कहा, कि आपने हमारी आवाज सरकार तक पहुंचाई है, इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। हम आपके आभारी हैं।

अन्य।
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एक शिक्षित पढ़े लिखे आदमी ने महेंद्र से बात करते हुए बताया कि सरकार जल्द जरूरी आवश्यक कदम उठाते हुए पड़ोस के गांव में टीकाकरण कराएं। जिससे यह महामारी वहां तक नहीं पहुंचे। हमारे गांव में 60% से ऊपर नुकसान हो चुका है। इसके अलावा चिकित्सा विभाग में भी राजनीतिक भेदभाव का असर देखने को मिला है, जो नहीं होना चाहिए।

अपने विचार।
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हाथ में तुम्हारे पावर आज,
मत इतराओ तुम।
जिस दिन, इनका दिन आएगा,
भागोगे दबा कर दुम।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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