मारवाड़ी कॉमेडी का पंजाब में बजा डंका, “महेश मारवाड़ी” की चटपटी और दिलचस्प बातें

हंसना हंसाना जिंदगी मेरी, गम के लिए क्या रोना । करने वाला ईश्वर बैठा, होगा वही जो होना।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे शख्स से मिलवा रहा हूं। जिसने अपनी जिंदगी को हंसना ही मिशन बना लिया है। रामगढ़ शेखावाटी (Ramgarh Shekhawati) के पास ठिमोली गांव (Thimoli Village) के रहने वाले महेश ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि मैंने कॉमेडी की शुरुआत टिकटोक कंपनी को देखकर ही की थी। वैसे कॉमेडी के जन्म जात गुण है। और लोगों को हंसाने का काम मैं जन्म से ही करता हूं।

परिवार और परिचय।
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महेश ने अपने बारे में बताया कि मेरी शिक्षा दीक्षा मेरे गांव ठिमोली में ही हुई है। तथा अब मैं पंजाब (punjab) में रहता हूं, और वहां पर मेरे राजस्थान (Rajasthan) की संस्कृति को बखूबी से बढ़ाने का कार्य कर रहा हूं। टिकटोक कंपनी के माध्यम से मैने मेरी कॉमेडी शुरू की, लेकिन अब यूट्यूब पर मेरा चैनल “महेश मारवाड़ी” के नाम से चल रहा है। और लोगों को हंसा कर मुझे आनंद मिल रहा है।

महेश ने कॉमेडी करने के जवाब में कहां कि एक बूढ़ी औरत सुबह-सुबह काम करने के बाद में विश्राम करके बैठी। तो जोर जोर से रोने लग गई, लोगों ने आकर पूछा कि क्यों रो रही है।तो बोली बेटा काम खत्म होगया था इसलिए मैंने सोचा कि थोड़ी रो लूं। तो यह मस्ती है, इसे कहीं से भी ले सकते हो।

दुख से निकलकर सुख में घुसने की कोशिश

महेश ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि मेरे चार भाई जवान खत्म हो गए। और मैं डिप्रेशन में आ गया था। तो मैंने सोचा कि कैसे मुंह पर मुस्कान लाई जाए। और मैं कॉमेडी की दुनिया में लीन हो गया। मैं भी हंसू और दुनिया को भी हंशाऊ। तब मैंने सब लोगों को संदेश दिया कि परिवार इतने दुख झेलने के बाद में भी खुश रह सकता है और जी सकता है।

महेश बताते हैं कि यदि हमे शांति से खाना मिलता है, तो हम करोड़पति हैं, और जमीन पर नींद आ रही है, तो हम महल में सो रहे हैं। नहीं तो पैसा बेकार है। एक करोड़ की कोठी में भी यदि नींद नहीं आए तो महल बेकार है।

“भूख क लगावन कोनी और नींद का बिछावन कोनी।”

साहिल, भतीजा बिननी के रोल में

साहिल ने खुशबू से बात करते हुए बताया किजब मैं मेरे ताऊजी की बीनणी का रोल अदा करता हूं, तो मैं मेरे रोल में खो जाता हूं। मुझे ताऊजी नजर नहीं आते। यह कॉमेडी है। और हम इसका पूरा आनंद उठाते हैं।और लोगों को हंसने का भरपूर अवसर देते हैं।

आपको कभी शर्म भी आती है क्या। के जवाब में महेश जी बताते हैं कि चाहे ससुराल हो,चाहे ओर कहीं । हम इसमें शर्म नहीं करते हैं। लोगों को सबको मालूम है, और हम इसका पूरा आनंद उठाते हैं।

इससे पहले आप क्या करते थे।

पहले क्या करते थे, के जवाब में महेश जी कहते हैं कि मैंने बहुत पापड़ बेले हैं। लेकिन पापड़ बने नहीं फूटे ही फूटे। गांव में अध्यापक का कार्य करता था।फिर पंजाब चला गया। वहां पर प्रॉपर्टी का काम किया,उसको बंद किया। उसके बाद में चाय सप्लाई करने का काम शुरू किया। अब केवल और केवल लोगों को हंसाने का और कॉमेडी का काम कर रहा हूं।

अपने विचार।
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सुख दुख तो एक मेल है,
जो अपने हाथ नहीं।
उसके लिए क्या रोना,
जो अपने साथ नहीं।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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