आकवा के नैनादास जी महाराज मंदिर के चमत्कार ने मरे बैल को किया जिन्दा, देख के रह जाओगे दंग

चमत्कार विश्वास है,
और विश्वास है एक शक्ति।
बिना विश्वास के होती नहीं,
कुछ भी कर लो भक्ति।

दोस्तों नमस्कार।
दोस्तों आज मैं आपको सीकर जिले के धोद तहसील में आकवां गांव के चमत्कारिक नैनादास जी महाराज के मंदिर की चमत्कारिक घटना बताने जा रहा हूं। जिसको सुनकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा लेता है।

समाधि के बारे में।
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खुशबू से बात करते हुए वहां पर तपोस्थली के कार्यकर्ता ने बताया कि यहां पर तीन समाधि है। पहली समाधि नैना दास जी महाराज की, दूसरी समाधि जयराम दास जी महाराज की, तीसरी समाधि कानड दास जी महाराज की। तीनों की समाधि एक जगह पर ही है। 108 साल पहले नैना दास जी महाराज यहां पर ठाकुर जी महाराज की सेवा करते करते अनंत में लीन हो गए थे। तो उनकी यहां पर समाधि बना दी गई थी। उस दिन से आज तक पूरा गांव उनकी पूजा करता है, और सेवा में लीन रहता है। उनके लिए तीज, तेरस और अमावस्या को विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। रोजमर्रा की जिंदगी में लोग बाग अपनी आस्था के अनुसार फेरी लगाते हैं और पूजा पाठ करते हैं।

यहां पर आपको जो भी विकास कार्य नजर आ रहे है, वह बाबा जी महाराज की ही देन है। पूरे गांव के सहयोग से लोगों की आस्था के अनुसार यह कार्य किया गया है। लोगों की आस्था का आलम तो यह है कि जब भी किसी की नौकरी लगती है, तो पहली तनख्वा यहीं पर आती है। जब भी किसी के घर में बच्चा पैदा होता है, तो यहीं पर रातीजोगा दिया जाता है, जन्मोत्सव की खुशी यहीं पर मनाई जाती है। जब भी कोई नया काम होता है तो यहीं पर पूजा अर्चना की जाती है।

चमत्कार को नमस्कार।
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एक बार की बात है कि नैना दास जी महाराज गांव में भिक्षा मांगने के लिए गए। एक किसान की घरवाली ने उनसे कहा महाराज भिक्षा कहां से दें। खेती करने के लिए एक बैल था वह भी मर गया। उसी समय नैना दास जी महाराज ने वापिस जाते समय बैल को अपनी छड़ी मार कर कहा, चल खड़ा हो जा। और बैल खड़ा हो गया।

इन चमत्कारों की देन है कि आज पूरा गांव एकमत से इनको मानता है, और उनकी पूजा करता है। मंदिर में एक शंख रखा हुआ है, जिसको बजाने से जहां तक उसकी आवाज जाएगी, वहां तक ओलावृष्टि नहीं होती है, और अकाल नहीं पड़ता है। गांव में किसी भी प्रकार की महामारी आने पर बाबा जी की बताई हुई तांती बांधने से वह भी खत्म हो जाती है। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि चालीस साल पहले यहां गांव में एक बारात आई थी। उस समय मंदिर परिसर के आसपास कहने के बावजूद भी शोच करने के कारण अचानक ओलावृष्टि हो गई। बहुत से बारातीओ के और गांव के लोगों के घायल होने के समाचार अब तक लोगों को याद है।

एक दो बार चोरी करने की घटनाओं पर भी महाराज ने चटकारा दिखाया था। किसी प्रकार की बीमारी पर यहां से भभूति लाकर लगाने से आराम मिलता है।विशेष परिस्थितियों में किसी भी वक्त याद करो, तो उसका फल जरूर मिलता है। महाराज जी चढ़ावे के भूखे नहीं है। उनको तो सच्चे दिल से याद करो वह बहुत खुश है। समाधि तीनों की एक ही जगह पर है। उसके ऊपर ही यह बंगला बनाया गया है। यहां पर अजमेर जिले के लोसल से भी संत महात्मा हर महीने आते हैं। यहां पर जेठ की चांदनी दूज को बड़ा भंडारा गांव के सहयोग से किया जाता है। जिसमें पूरे गांव के भौगोलिक क्षेत्र के चारों तरफ कार लगाई जाती है।

कार लगाने के समय पर चारों तरफ से रास्ते बंद कर दीये जाते है। फिर उस दिन सांय काल भजन संध्या होती है, और दूसरे दिन बड़ा भंडारा किया जाता है। उसमें जितने भी व्यक्ति आयेंगे वो उसका लाभ लेते हैं।

जय झलको ___जय सीकर।

अपने विचार।
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दृढ़ निश्चय और हौसले से,
असंभव काम हो जाता है।
ऐसा ही विश्वास कभी,
चमत्कार बन जाता है।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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