एक महीने में मिली 3 सरकारी नौकरियां, सीकर की बेटी प्रियदर्शना का कमाल ~ खोले सारे राज

मन में जज्बा हो कुछ कर गुजरने का,
तो माता-पिता भी साथ है।
दादा दादी की प्यारी लाडली ने,
तीन नौकरियों की दी सौगात है।

तीन नौकरी मिली, लेकिन सपना अभी बाकी है
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दोस्तों नमस्कार

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी सुनाने जा रहा हूं। जिसने ऐसे समय में एक साथ तीन नौकरियां ली है, जिस समय में नौकरियों का अकाल पड़ा हुआ है।

परिवार परिचय और शिक्षा।

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खुशबू से बात करते हुए प्रियदर्शना ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि मेरे पापा आर्मी में है। तथा मेरी मम्मी टीचर है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा यही आकवा गांव (Aakwa Village) के पास में अजीतपुरा (Ajeetpura) स्कूल में हुई थी। अजीतपुरा स्कूल का स्टैंडर्ड सरकारी होने के बाद भी बहुत अच्छा है,जिससे मेरी हिंदी और इंग्लिश मजबूत हैं।

इसके बाद में मैंने आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी शुरू की और मेरा एडमिशन गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर में हो गया। कुछ समय बाद में मेरा हेल्थ इश्यू होने के कारण वह कॉलेज मुझे छोड़ना पड़ा और होम डिस्ट्रिक्ट में ही प्राइवेट कॉलेज में मुझे एडमिशन लेना पड़ा। उन्होंने बताया अजमेर छोड़ने के बाद में मुझे वह शिक्षा तो नहीं मिली जो अजमेर में मिलती। लेकिन फिर भी इस कॉलेज में जो फैसिलिटी अवेलेबल थी, उनका सही उपयोग करते हुए मैंने शिक्षा ग्रहण की और अब मेरा गेट (GATE) थ्री टाइम्स 2016, 2017 तथा 2018 क्लियर हो गया है।

किस किस की तैयारी की।
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2018 के अंदर दो वैकेंसी आई। एक आरएएस (RAS) की दूसरी आरईएस की, तो मैंने मेरा बैकग्राउंड टेक्निकल होने की वजह से आर ई एस को ही वरीयता दी। वह एग्जाम कैंसिल हो गया। तथा दोबारा जेईएन (JEN) की वैकेंसी आई उसको मैंने अटेंप्ट किया, जिसका रिजल्ट अब आया है। दूसरा सहकारिता विभाग में असिस्टेंट मैनेजर (Assistant Manager) का तथा तीसरा एईएन (AEN) का। यह तीनों रिजल्ट पिछले दस दिन के अंदर आए हैं।

जॉब सिलेक्शन में मेरा मानस एईएन (AEN) में जाने का है। बाकी पोस्टिंग कहां मिलती है, उस पर निर्भर करेगा। मैं सहकारिता विभाग में भी जा सकती हूं। पहले भी मेरा मुख्य उद्देश्य आरएएस (RAS) था लेकिन दो वैकेंसी साथ निकलने की वजह से मैं चूक गई ।अब मेरा मैन मोटो आरएएस ही है। मैं लगातार तैयारी कर रही हूं।

अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए वह कहती है कि आपका तीन चार बच्चों का ग्रुप होना चाहिए। उसमें खराब मस्ती मारने वाले बच्चे नहीं होने चाहिए। पढ़ने वाले बच्चों की आपस में डिस्कस करने से तैयारी अच्छी होती है। दूसरा मेरे भाई साहब जे ई एन हैं उनसे भी मुझे बहुत सहयोग मिला।उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से रिजल्ट बहुत लेट हो गया। जिससे डिप्रेशन की स्थिति आ गई थी।

सुनने वाले सभी बच्चों को संबोधित करते हुए प्रियदर्शना कहती है कि इंग्लिश लैंग्वेज अपनी मजबूत बनाओ वह बहुत जरूरी है। अपनी तैयारी के बारे में वह कहती है कि मैंने कभी समय को नहीं देखा,मैंने हमेशा टॉपिक को देखा है। आज इतना टॉपिक तैयार करना है। ए ई एन में मुझे पीएचईडी डिपार्टमेंट (PHED Department) मिला है जो मेरा पसंदीदा है।

उन्होंने बताया कि मैं स्कूली शिक्षा से ही होशियार थी। मेरे दादा जी का सपना था कि मेरी अखबार में फोटो आए, और 2010 मैं मेरिट से चूक गई, जो अब 2021 के अंदर वो सपना पूरा हुआ है। मेरी दादी जी तो नहीं रही लेकिन मेरे दादाजी रोज मुझे इंस्ट्रक्शन देते हैं कि ऑफिस में कैसे काम करना है कैसे रहना है आदि।

घरवालों के योगदान के बारे में वह कहती हैं कि इतने दिन तक धैर्य रखना, यह पॉजिटिविटी घरवालों से ही आई है। उनके सहयोग से ही मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूं।अंत में उन्होंने झलको सीकर को बहुत बहुत शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आपने मुझे सब से रूबरू करवाया है, इसके लिए आपको और झलको को बहुत-बहुत धन्यवाद।

अपने विचार।
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सहज, सरल, स्वभाव हो,
और जज्बा हो कुछ करने का।
मन मंदिर में समाज बसे,
तो काम नहीं कोई डरने का।

विद्याधर तेतरवाल,
मोती सर।

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