एक माँ ऐसी भी! 15 साल से श्मशान घाट को ही बना लिया घर, कहानी पढ़ के आँखों में आ जाएंगे आंसू

वो मां ही होती है जिसका अपनी संतान से रिश्ता जन्म के 9 महीने पहले से जुड़ जाता है, लेकिन एक मां ऐसी भी जिसने बेटे कि मौत के 15 साल बाद भी उसको खुद से जुदा नहीं किया। बेटे का अंतिम संस्कार कर उस मां ने उसी श्मशान घाट को अपना घर बना लिया। लेकिन ऐसा क्यों?

ये तो हम सभी जानते है कि श्मशान में महिला का जाना वर्जित है। लेकिन राजस्थान (Rajasthan) में सीकर (Sikar) में श्मशान में जब अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी तो पुरुषों की भीड़ में एक महिला नजर आई। वो महिला कभी लोगों को पानी पिला रही थी तो कभी अंतिम क्रिया के लिए आए लोगों की मदद कर रही थी।

लेकिन जैसे ही मुखाग्नि दी गई वो गायब हो गई। जब लोगों से इस महिला के बारे में पता किया गया तो पता चला की वो महिला इस श्मशान से बाहर जाती ही नहीं है।

कहा – मेरे बेटे को आज तक नहीं मिला इंसाफ

65 साल की इस महिला का नाम राज कंवर है। जिसके मन में बस एक ही बात है और वो है….मेरे बेटे को आज भी इंसाफ नहीं मिला, दुनिया उसे भूल गई वो मुझे भूल गया, लेकिन मैं उसे कैसे भूल जाऊं? राज कंवर आज भी नहीं मानती की उनका बेटा उनसे बहुत दूर जा चुका है…वो तो बस एक ही रट लगाई रहती है कि मेरा बेटा सो रहा है।

अपने हाथों से किया अंतिम संस्कार

राज कंवर ने बताया कि उनके बेटे इंद्र की मौत एक सड़क हादसे में हुई थी। जहां से उसे सीकर के एसके अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

राज कंवर कहती है – ‘मैं अपने बेटे को आखिरी बार देख तक नहीं पाई’ बता दे कि, इंद्र की मौत के बाद उसे शिवधाम धर्माणा (Shivdham Dharmana) लेकर आया गया था। राज कंवर के सिवा चंद्र का इस दुनियां में कोई नहीं था इसलिए राज कंवर ने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।

लोगों ने श्मशान में रहने के लिए टोका

अंतिम संस्कार करने के बाद राज कंवर बेटे की अस्थियों को विसर्जित करने हरिद्वार ले गई वहां से लौटने के बाद फिर श्मशान आ गई। कुछ दिन तक तो किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन बाद में सब उन्हें टोकने लगे कि महिलाओं का श्मशान में क्या काम?

राज कंवर बताती है, ‘मैं उन लोगों को कैसे समझाती की मेरी तो इकलौती दौलत ही श्मशान में है, उसे छोड़कर मैं कहां जाऊं?’ राज कंवर ने किसी की न सुनी, और कुछ समय बाद लोगों ने टोकना भी छोड़ दिया।

जानिए क्या हुआ था 15 साल पहले?

राज कंवर सीकर की रहने वाली हैं। उनके भाई – भाभी से लेकर परिवार के सभी सदस्य राजश्री सिनेमा के पास रहते है। राज कंवर की शादी झुंझुनूं में हुई थी लेकिन कुछ सालों बाद उनके पति की भी मौत हो गई। पति के गुजरने के बाद राज कंवर ने अपना ससुराल छोड़ दिया और अपने इकलौते बेटे के साथ अपनी पीहर आ गई। बेटे को पढ़ाया – लिखाया।

जब चंद्र समझदार हुआ तो उसने इलेक्ट्रॉनिक की दुकान में काम करना शुरु कर दिया। दोनों मां – बेटे सुख से अपना जीवन गुजार रहे थे लेकिन किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था, और 3 दिसंबर 2008 को हुए हादसे में राज कंवर ने अपना सबकुछ गवा दिया।

मां ने किया दावा – बेटे की हुई थी हत्या

राज कंवर ने बताया कि अस्पताल में मुझे मेरे बेटे का चेहरा तक देखने नहीं दिया गया। लोग कहते है मालिक के साथ सामान लेकर जा रहा था, तभी बाइक से गिर गया था। राज कंवर कहती है ‘मैं नहीं मानती की वह गिरा, उसकी हत्या हुई है’

लोगों की करती है सेवा

राज कंवर का कहती है कि अब बस लोगों की सेवा करना और अपने इंद्र को ढूंढ़ना ही उनकी जिंदगी है। जब वहां के लोगों से पुछा गया तो उन्होंने भी यही बताया कि राज कंवर रोजाना श्मशान के बगीचे से फूल तोड़ती हैं। पूजा के लिए माला बनाती है और फिर पूजा – पाठ करके सेवा में जुट जाती है।

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