माइनस 30 डिग्री तापमान में किलिमंजारो पर्वत फतह कर सीकर की धाकड़ छोरी रजनी चौधरी ने रचा इतिहास

जननी हर जन से बड़ी,
चाहे हो मां, बहन या बेटी।
इसकी तो है बात निराली,
क्योंकि है ये जिद्द पर आई जट्टी।
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दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवा रहा हूं। जिसके जन्म के समय घर वालों ने एक दिन तक खाना नहीं खाया था। सबका मन दुखी था, उस बालिका ने 66 घंटे में दक्षिण अफ्रीका की 19,341 फुट ऊंची चोटी किलिमंजारो पर्वत (Kilimanjaro Parvat) श्रृंखला को फतेह कर घर वालों को खुशी दी है। रजनी चौधरी (Rajni Choudhary) सीकर जिले की “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ” (Beti Bachao Beti Padhao) की ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) भी है।

परिचय और परिवार।
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रजनी चौधरी सीकर जिले के खंडेला तहसील के प्रतापपुरा गांव के रतनलाल जी चौधरी की बेटी है। जो जयपुर में गणगौरी हॉस्पिटल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर सेवा दे रहे हैं। माता अंची देवी ग्रहणी है। एक भाई और एक बहन दोनों छोटे हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं।

रजनी ने बताया कि उनका जन्म माता पिता की शादी के 11 साल बाद में हुआ था।सभी को बेटे की चाह थी, लेकिन बेटी का जन्म हुआ। एक दिन तक घर वालों ने खाना नहीं खाया।

पर्वतारोही कैसे बनी।
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26 वर्षीय रजनी चौधरी जयपुर (Jaipur) के निम्स यूनिवर्सिटी (Niims University) से एमटेक कर रही है। पर्वतारोहण में उनकी रुचि को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने उस को बजट आवंटित किया। अडिग , विश्वास से भरपूर रजनी चौधरी ने मंगलवार रात माइनस 30 डिग्री तापमान में दक्षिण अफ्रीका (South Africa) की किलिमंजारो पर्वत शिखर पर पहुंचकर सीकर जिले का और अपने गांव का नाम रोशन किया है। उसने 28 किलोमीटर का सफर बिना रुके तय किया।

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जब रजनी चौधरी 24 वर्ष की थी तो उसने फैशन डिजाइनिंग में अपना भविष्य आजमाना चाहा, लेकिन दादी के मना करने पर उसने जुंबा और योग की ट्रेनिंग ली। उसके बाद वह दूसरों का फिटनेस की ट्रेनिंग देती है।

पर्वतारोहण की ट्रेनिंग।
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रजनी चौधरी ने बताया उसने 2019 में हिमाचल से अटल बिहारी वाजपई इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स (Atal Bihari Vajpayee Institute of Mountaineering and Allied Sports) से 25 दिन का पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था। उस दौरान 15700 फीट ऊंची शीतिधीर शिखर की चढ़ाई की थी।तब बेस कैंप से ग्लेशियर तक जीरो डिग्री तापमान में बर्फ के बीच से गुजरते हुए लक्ष्य को प्राप्त किया था।

सन 1993 में दुनिया की सबसे कम उम्र में माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को फतह करने वाली डिकी डोलमा का मार्गदर्शन भी मिला था। सन 2020 में उत्तरकाशी स्थित राष्ट्रीय पर्वतारोही संस्थान से एक महीने की ट्रेनिंग ली थी।

जागरूकता अभियान।
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रजनी चौधरी स्कूल के अंदर लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दे रही है। वह भविष्य में पीरियड्स को लेकर फैले अंधविश्वास और भ्रूण हत्या को रोकने के लिए शिविर लगाकर लोगों को जागरूक करेंगी।

रजनी चौधरी कई बार अपने दोस्तों के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के पर्वतीय इलाकों में सफाई अभियान भी चला चुकी है। तथा वहां आने वाले पर्यटकों को भी सफाई अभियान के बारे में जागरूक करती है।

अपने विचार।
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जज्बा हो मन में कुछ करने का,
तो पहाड़ भी ढेला सा दिखता है।
नर्वसता हो मन में भरी हुई तो,
सोना भी पीतल भाव बिकता है।

विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।

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