कश्मीर में दुश्मनों से लोहा लेते समय शहीद दीपचंद वर्मा की शौर्य गाथा, मिला वीरता पुलिस पदक

सीकर : गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार ने खंडेला (Khandela) के बावड़ी निवासी शहीद दीपचंद वर्मा (Shaheed Deepchand Verma) को वीरता पुलिस पदक से नवाजा है। दीपचंद को यह पुरस्कार उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए दिया गया है। बता दे कि दीपचंद 2020 में जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते समय शहीद हो गए थे।

कौन थे दीपचंद वर्मा?

दीपचंद वर्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 179 बटालियन में कांस्टेबल थे। दीपचंद का जन्म 10 नवंबर 1981 में हुआ था। दीपचंद की अजमेर, जम्मू कश्मीर सहित कई स्थानों पर पोस्टिंग रही है। जिसके बाद इनका हवलदार के पद पर प्रमोशन हुआ था।

ऐसे में दीपचंद की जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में पोस्टिंग हुई, जहां 1 जुलाई 2020 को आतंकियों से हुई मुठभेड़ में वह शहीद हो गए।

बच्चे और पत्नी रहते है अजमेर में

दीपचंद के भाई सुनील ने बताया कि दीपचंद की एक बेटी और दो बेटे है। बेटी कुसुम और बेटे विनय, विनीता तीनों अजमेर में केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहे है।

दीपचंद की पत्नी भी बच्चों के साथ अजमेर में सीआरपीएफ (CRPF) के आवासीय क्वार्टर में रह रही है। जिस समय दीपचंद शहीद हुए थे तब उनका पूरा परिवार अजमेर में ही था।

अभी तक नहीं हुआ स्कूल का नामकरण

सुनील ने बताया कि दीपचंद की अंत्येष्टि के समय जनप्रतिनिधियों ने दीपचंद के नाम पर सरकारी स्कूल का नामकरण करने की घोषणा की थी। लेकिन आज तक इस पर कोई काम नहीं किया गया।

सुनील ने बताया कि दीपचंद के शहीद होने के 6 महीने बाद ही परिवार को सहायता राशि मिल गई थी और उनकी पत्नी की पेंशन भी शुरु हो चुकी थी।

माता – पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया – लिखाया

शहीद दीपचंद वर्मा के भाई सुनील ने बताया कि उनके पिता नाथूराम वर्मा और माता प्रभाती देवी ने सभी सात भाई -बहनों को मजदूरी करके पढ़ाया है।

घर में सबसे पहले दीपचंद की नौकरी लगी थी। ऐसे में पूरे घर की जिम्मेदारी दीपचंद पर आ गई थी। दीपचंद के भाई बताते है कि दीपचंद को बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना रहा है।

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