सीकर की बेटी ने बिना किसी कोचिंग के एयरफोर्स में पाई 22वीं रैंक, अब बनेंगी फ्लाइंग ऑफिसर

राजस्थान: जब आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत और जुनून के साथ आगे बढ़ते हैं तब न तो आपको संसाधन की आवश्यकता होती, न गाइडलाइंस की ओर न ही किसी अन्य सुविधा की। जो लोग सपनों के पीछे भागने की बजाय खुद को बेबस और लाचार मान ख्वाहिशों को पूरा करने की जिद्द छोड़ देते हैं, उनके लिए सीकर (Sikar) के नानी गांव की बेटी कंचिता भामू (Sikar Kanchita Bhamu) एक प्रेरणा है। कंचिता ने कड़ी मेहनत और लगन से एयरफोर्स  (sikar kanchita Bhamu Become flying Officer) में बिना किसी कोचिंग के सिलेक्ट हो अपने गांव, जिले और राज्य का नाम रोशन किया है।

कंचिता ने एयरफोर्स में 21वीं रैंक हासिल की है। उन्हें एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर (flying Officer) के पद पर पोस्टेड किया गया है। अब कंचिता फ्लाइंग ऑफिसर की ट्रेनिंग के लिए डूंडीगल हैदराबाद (Hyderabad) जाएंगी। तारीख 11 जुलाई से उनका प्रशिक्षण शुरू होगा।

महज 21 साल की कंचिता (Sikar Kanchita Bhamu) सफलता को लेकर बताती हैं कि- ‘मेरे पापा बनवारीलाल भामू आर्मी से जूनियर कमीशंड ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए हैं। बचपन में उन्हें आर्मी की यूनिफाॅर्म और अनुशासन में देखकर संकल्प लिया कि बड़ी हाेकर मुझे भी डिफेंस में जाना है। इसके लिए मैं घर में ही पेड़ के रस्सी बांधकर ऊपर चढ़ने का प्रैक्टिस किया करती, यही वजह रही कि मैं आज बिना कोचिंग के इस मुकाम को हासिल कर पाई हूं, मेरी इच्छा आर्मी में जाने की थी और लेफ्टिनेट के इंटरव्यू का ऑप्शन भी था। आर्मी का डिसिप्लिन और वहां का लाइफस्टाइल मैं पापा के साथ रहकर जी चुकी थी’

आगे कंचिता कहती हैं कि- ‘यही कारण रहा कि मैंने आर्मी में (sikar kanchita Bhanu Become flying Officer) जाने का मन बनाया और रिटर्न एग्जाम के बाद इंटरव्यू पर फोकस कर अपने सपने को साकार किया।’ बता दें कंचिता के पिता बनवारीलाल भामू- कारगिल युद्ध, ऑपरेशन पराक्रम में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसी के साथ वह भारतीय दूतावास अफगानिस्तान (Afghanisthan) की राजधानी काबुल (Kabul) में देश के लिए अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

बता दें, कंचिता भामू एक अच्छी घुड़सवार भी हैं। वह पुणे में होर्स जंपिंग कर बेहतरीन प्रदर्शन कर चुकी हैं। इसके अलावा स्केटिंग में भी उन्हें महारत हासिल है। उन्होंने स्टेट लेवल पर महाराष्ट्र में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। साथ ही साथ वह स्वीमिंग, बैडमिंटन और पेंटिंग में भी माहिर हैं। उन्होंने स्कूल स्तर पर खूब मेडल और सर्टिफिकेट जीते हैं। कंचिता भामू आज न केवल सीकर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।

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