अरावली पर्वतमाला की शान है जयसमंद झील, स्थापत्य कला की दृष्टि से राजस्थान का मुख्य पर्यटन केंद्र

जयसमंद झील को एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील होने का गौरव हासिल है जिसे ढेबर झील भी कहा जाता है। पश्चिमोत्तर भारत के दक्षिण मध्य राजस्थान राज्य के अरावली पर्वतमाला के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक विशाल जलाशय है।

36 वर्ग मील क्षेत्र को कवर करने वाली यह झील महाराजा जय सिंह ने बनवाई थी। यह झील राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। जयसमंद झील उदयपुर जिले मुख्यालय से 51 किमी की दूरी पर दक्षिण पूर्व की ओर उदयपुर सलूम्बर मार्ग पर स्थित है। अपने प्राकृतिक परिवेश एवं बांध की स्थापत्य कला की सुंदरता से यह झील सालों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है।

दुर्लभ जानवरों एवं प्रवासी पक्षियों का अड्डा

जयसमंद झील वन्यजीव अभयारण्य से घिरी हुई है जो कई तरह के दुर्लभ जानवरों एवं प्रवासी पक्षियों का आश्रय है। जयसमंद झील में मुख्य रूप से तीन द्वीप शामिल है। दो बड़े द्वीपों को बाबा का मगर के नाम से जाना जाता है और छोटे द्वीप को पियरी नाम दिया गया है।

झील के उत्तरी छोर पर एक मंदिर है और दक्षिण में 12 स्तंभों वाला एक विशाल मंडप है। झील के शेष 11 द्वीपों में से कुछ प्रवासी पक्षियों और अन्य जानवरों को आश्रय प्रदान करते हैं।

स्थापत्य कला की दृष्टि से आकर्षण का प्रमुख केंद्र

जयसमंद झील पर बना एक बांध स्थापत्य कला की दृष्टि से हर किसी को आकर्षित करता है। झील की तरफ के बांध पर निश्चित अंतराल पर छह खूबसूरत छतरियां पर्यटकों का मन मोह लेती है। इस झील के बांध पर छह सेनेटफ और शिव को समर्पित नर्मदेश्वर मंदिर को कलात्मक ढंग से बनाया गया है।

यह मंदिर इस बात को दर्शाता है कि मेवाड़ के लोग दैवीय शक्ति के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्ध थे। उदयपुर की रानी के ग्रीष्मकालीन महल इस झील के आकर्षण में चार चांद लगाते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से यह झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। शहर से दूर, शांतिप्रिय पर्यटक इस आकर्षक स्थल पर अधिकतर मानसून के समय आते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह झील स्वर्ग के समान है।

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