कहां गायब हो गए 90 के दशक के यह मजेदार खेल, स्मार्टफोन की दुनिया में इतना खो गए हम

हम सभी ने बचपन में कुछ ना कुछ अजीबोगरीब हरकतें की है जिनको याद करके आज भी चेहरे पर हंसी छूट जाती है। अगर उन चीजों को हम आज याद करते हैं तो हमारा बचपन तुरंत आंखों के सामने दौड़ आता है।

लेकिन बचपन में की गई नादानी और बचपन में किया गया वह काम आज कहीं गुम सा होता हुआ नजर आ रहा है। जिस तरीके से लगातार इंटरनेट और स्मार्टफोन बच्चों के बीच में अपने पैर पसार रहा है उसे देखकर लगता है कि 90s के जमाने में जिस तरीके से खेल हुआ करते थे, वह शायद अब कभी देखने को ना मिले।

हम आपको आज कुछ ऐसे ही खेलों के बारे में बताएंगे और ले चलेंगे आपके बचपन की यादों में, हम वादा करते हैं कि आप एक बार के लिए अपने बचपन में खो जाएंगे।

लंगड़ी टांग : सबसे पहले बात करते हैं बचपन में खेले जाने वाले लंगड़ी की जिसको खेलने में बच्चों को बहुत आनंद आता था।

कंचे : बचपन में हम सभी ने कंचे जरूर खेले हैं। एक जमीन में गड्ढा बनाकर कंचे को उस गड्ढे में डालने का खेल हम सभी ने जरूर खेला है।

गिल्ली डंडा : गिल्ली डंडा खेल बचपन में सबसे मशहूर खेल माना जाता था। छोटी सी गिल्ली और एक झंडे के साथ इस खेल को खेलने में बच्चों को आनंद आता था।

खो-खो : बचपन में हम सभी ने खो-खो का खेल जरूर खेला है। खो खो के खेल में 2 टीमों में खिलाड़ी बंट जाते थे। इसके बाद एक टीम को दूसरी टीम के खिलाड़ियों को आउट करना पड़ता था।

पिट्ठू : बचपन में हमने पिट्ठू का खेल भी जरूर खेला है। इस खेल में 7 पत्थर लगाकर के दो टीमें आपस में खेलती थी। इसके साथ पत्थर को एक बॉल के माध्यम से गिराया जाता था। दूसरी टीम गेंद को लेकर पत्थर गिरा कर जोड़ने वाली टीम को आउट करती थी।

छुपन छुपाई : बचपन में हमने छुपन छुपाई और चोर सिपाही का खेल जरूर खेला है जिसमें 1 खिलाड़ी सभी छुपे हुए खिलाड़ी को ढूंढता था। साथ ही चोर सिपाही खेल में कुछ खिलाड़ी पुलिस बनते थे और कुछ चोर बनते थे। जिसके बाद पुलिस बने खिलाड़ी चोरों को ढूंढते थे।

स्टापू : बचपन में खेला गया स्टापू का खेल सभी को पसंद था। स्टापू के खेल में 8 खाने बनाए जाते थे जिसके बाद प्रत्येक खिलाड़ी उन 8 खानों को एक के बाद एक पूरा करता था।

वहीं त्योहारों पर खेले गए खेल तो सबसे ज्यादा प्रिय होते थे। होली पर पिचकारी से पानी फेंकना और दिवाली पर डिब्बी वाली बंदूक लाना हम सभी को प्रिय होता था।

इसके अलावा भी हमने कई तरह के खेल खेले हैं जिनमें पकड़म पकड़ाई, गेंद को एक दूसरे के मारकर खेलना, रबड़ की गुलेल बनाना, 4 कलर वाला पेन ख़रीदन, पन्नी का पैराशूट बनाना आदि बचपन में खेले गए खेल हैं लेकिन आज के जमाने के बच्चों की बात करें तो बच्चे इन खेलों से दूर होते जा रहे है। आज बच्चे अगर लूडो भी खेलते हैं तो उसे स्मार्टफोन में एक एप्लीकेशन के जरिए खेलते हैं।

इसके अलावा स्मार्टफोन आने की वजह से आज बच्चे कई ग्राफिक्स वाले खेलों की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन घर के बाहर खेले जाने वाले बेहतरीन खेलों को आज सभी लोग भूलते हुए नजर आ रहे हैं।

Add Comment

   
    >
राजस्थान की बेटी डॉ दिव्यानी कटारा किसी लेडी सिंघम से कम नहीं राजस्थान की शकीरा “गोरी नागोरी” की अदाएं कर देगी आपको घायल दिल्ली की इस मॉडल ने अपने हुस्न से मचाया तहलका, हमेशा रहती चर्चा में यूक्रेन की हॉट खूबसूरत महिला ने जं’ग के लिए उठाया ह’थियार महाशिवरात्रि स्पेशल : जानें भोलेनाथ को प्रसन्न करने की विधि