भवानी देवी : बचपन में बांस की डंडियों से सीखी तलवारबाजी, आज ओलंपिक में खेलने वाली पहली भारतीय

टोक्यो ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं जिसे आगे बढ़ाया है भारत की सीए भवानी देवी ने जिन्होंने इतिहास रचते हुए ट्यूनीशिया की नादिया बेन अजिजि के खिलाफ तलवारबाजी का मुकाबला जीता है।

इस जीत के साथ ही ओलंपिक में तलवारबाजी का मैच जीतने वाली भवानी देवी भारत की पहली एथलीट बन गई है. वहीं चेन्नई की रहने वाली भवानी देवी ओलंपिक खेलने जाने वाली पहली भारतीय तलवारबाज है।

2004 में 11 साल की एक शर्मीली लड़की पहली बार चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अपनी मां का हाथ पकड़कर आई। मुरुगा धनुषकोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल की एक नई छात्रा सीए भवानी देवी ने ‘स्पोर्ट्स इन स्कूल्स’ पहल की मदद से ‘फेंसिंग’ शब्द सीखा था।

भवानी के कोच विश्वनाथन पी बताते हैं कि 11 साल की इस लड़की को देखते ही पता चल गया था कि उसके पास प्रतिभा है। विश्वनाथन बताते हैं कि उसने 30 सेकंड में 40 अन्य लड़कियों के बीच स्कूल की तलवारबाजी कक्षाओं में पहला स्थान हासिल किया।

जब बांस की डंडियों से करती थी तलवारबाजी

भवानी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहती है कि एक समय वह बांस की डंडियों से तलवारबाजी सीखा करती थी। उनके पास कई छोटे-छोटे उपकरण थे जो उन्होंने प्रतियोगिताओं के लिए बचा रखे थे।

भवानी के मुताबिक उसने अभ्यास करने के लिए हर तरह की चीजों का इस्तेमाल किया। वह याद करती है कि हम रोज सुबह 5.30 बजे स्टेडियम जाते थे और वहां से स्कूल जाते थे। शाम को स्कूल से वापस स्टेडियम और फिर घर। सालों तक यही रूटीन चला।

भवानी ने तलवारबाजी को दी नई पहचान

भवानी के स्कूली दिनों में बना 40 सदस्यीय तलवारबाजी समूह जल्दी ही कम हो गया और पांच साल बाद भवानी एकमात्र प्रतिभागी थी। भवानी कहती हैं कि तब भारत में तलवारबाजी एक अज्ञात खेल था, जिसमें कोई बड़ी उपलब्धि नहीं थी।

वहीं कुछ लोगों को लगता था कि तलवारबाजी लड़कियों के लिए नहीं है। खेल में एथलेटिक्स या वॉलीबॉल के अलावा नौकरी की कोई संभावना नहीं थी।

मां ने हमेशा दिया साथ

भवानी की मां रमानी, जो उनके जीवन में एक निरंतर और शायद सबसे महत्वपूर्ण किरदार है, ने हमेशा से इस खेल में लड़कियों के खेलने को लेकर नकारात्मक टिप्पणियों का करारा जवाब दिया। रमानी कहती है, मैं हर किसी को यही कहती थी कि तुम परेशान क्यों हो रहे हो, अगर लड़की को इसमें दिलचस्पी है तो रहने दो।

भवानी का सफर 2017 में वह रिक्जेविक, आइसलैंड में आयोजित महिला विश्व कप में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ शुरू हुआ।

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