भारत के नक्शे से गायब हो जाएंगे यूपी के इन 11 गाँवों का वजूद – जानिए क्या है वजह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जहां चुनाव का हो हल्ला जारी है, वही इस बीच कुछ ऐसा गांव है जहां न तो किसी नेता को वोट मांगने की दिलचस्पी है न उस गांव के लोगों को वोट डालने की दिलचस्पी है। आपको जान कर हैरानी होगी इन गांवों में आखिरी बार 7 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। इसके बाद इन गांव में कोई चुनाव नहीं होगा। इतना ही नहीं सोनभद्र के ये 11 गांव यूपी के ही नहीं बल्कि पूरे देश के नक्शे से भी गायब हो जाएंगे।

झारखंड, यूपी और छत्तीसगढ़ से जुड़ी कनहर सिंचाई परियोजना दिसंबर 2022 में पूरी होने के बाद कनहर बांध से पानी छोड़ दिया जाएगा, जिससे तीनों राज्यों के कुल 21 गांवों का वजूद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। ये 11 गांव यूपी के दुद्धी विधानसभा के हैं। इन गांव में – कुदरी, सुंदरी, अमवार, बरखोहरा, रनदहटोला, लाम्बी, सुगवामन, गोहडा, बघाडू और कोरची शामिल है।

क्या है? इन गायब होते गांव की कहानी

आपने डूब क्षेत्र जैसा कुछ सुना है? डूब क्षेत्र का अर्थ होता है वो इलाका जो पानी में डूब जाए और इन 11 गांव के साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। यानी की जब दिसंबर में नहर नें पानी छोड़ा जाएगा तब ये 11 गांव डूब जाएंगे। यूपी के इन 11 गांव के साथ झारखंड के 4 गांव और छत्तीसगढ़ के 6 गांव भी पानी में समा जाएंगे।

गांव वालों ने किया विरोध

आपको बता दे कि यूपी के सोनभद्र के इन इलाकों में ज्यादातर आदिवासी रहते हैं। इन गांव वालों ने कई बार कनहर परियोजना के विरोध में आवाज उठाईं, लेकिन गांव वालों का कहना है कि सरकार उन्हें हर बार मुआवजा देकर चुप करा देती है। गांववासी कहते है हमें तो मुआवजा मिल चुका है लेकिन अभी भी गांव के 50% लोगों को पैसे नहीं मिले है।

गांव वालों की उड़ी रातों की नींद

रन्दह टोला गांव के लोगों को ये बात 2001 में ही पता चल गई थी कि उनका गांव सिंचाई परियोजना में चला जाएगा। उस दिन से उनकी रातों की नींद गायब है कि ना जाने कब उनका घर उनसे छीन जाएगा। उस गांव के रहने वाले 30 साल के संजय का कहना है कि ‘मेरी आंखों के सामने मेरा घर बह जाएगा, ये सोच – सोचकर मेरी रातो की नींद उड़ गई है’ हम लोगों ने इस गांव को बचाने की बहुत कोशिश की धरना दिया, परचे चिपकाए, एप्लिकेशन दी लेकिन सब बेकार रहा और देखते ही देखते बांध बनकर तैयार हो गया। हम में से अब भी कई ऐसे लोग है जिन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। तो अब इस गांव चुनाव हो ना हो हमें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

महिलाओं को दिया नौकरी देने का वादा

जहां एक तरफ सरकार बांध के निर्माण में जुटी हुई है वही, दूसरी तरफ 11 गांवों के 1500 लोग अपने आशियाने को बहने से रोकने के लिए आवाज उठा रहे है। और इस आवाज को बुलंद कर रही है इन गांवों की महिलाएं जो अपनी रसोईं में चूल्हा बुझाकर इस विरोध में लाठी लिए खड़ी है। लेकिन ये लाठी नौकरी झांसे में दब कर रह गई। और सरकार आजतक इस नौकरी के वादे को पूरा नहीं कर पाई।

वही, 2017 में यहां के लोगों ने लगभग 18498 नोटा के बटन को दबाया लेकिन क्या हुआ कुछ भी नहीं और यही कारण है कि इस बार यहां के लोगों को वोट डालने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

46 सालों से चल रहा है कनहर सिंचाई परियोजना का काम

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1976 में कनहर सिंचाई परियोजना का कार्य शुरु हुआ था। और इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य 10 साल रखा गया। लेकिन आज भी इसका काम जारी है। ऐसा इसलिए क्योंकि साल 1984 से 2000 तक परियोजना का काम बंद रहा और फिर 2001 में इस काम को दुबारा शुरु किया गया।

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